संयुक्त सरकार (Coalition Government) क्या होती है?
(Bachelor of Arts – तृतीय वर्ष, राजनीतिक विज्ञान विषय – पेपर II: भारत में राज्य राजनीति)
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परिचय
भारतीय लोकतंत्र विविधता और बहुलता का प्रतीक है। इतने विविध सामाजिक, भाषाई, धार्मिक और जातीय समूहों के बीच एक-दलीय शासन लंबे समय तक टिक नहीं सकता। यही कारण है कि भारत के राजनीतिक इतिहास में गठबंधन सरकार या संयुक्त सरकार (Coalition Government) की परिकल्पना धीरे-धीरे महत्वपूर्ण होती गई है। विशेषतः 1967 के बाद, भारत की राजनीति में गठबंधन सरकारों की भूमिका बढ़ती गई।
संयुक्त सरकार की परिभाषा
संयुक्त सरकार वह व्यवस्था होती है जिसमें दो या दो से अधिक राजनीतिक दल एक साझा कार्यक्रम या न्यूनतम साझा कार्यक्रम (Common Minimum Programme) के आधार पर मिलकर सरकार बनाते हैं। यह सरकार बहुमत के अभाव में बनती है जब कोई भी दल अपने दम पर सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत प्राप्त नहीं कर पाता।
संयुक्त सरकार = बहुमत न होने पर कई दलों द्वारा मिलकर बनाई गई सरकार
संयुक्त सरकार की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- बहुदलीय प्रणाली: भारत एक बहुदलीय लोकतंत्र है, जहां राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दोनों प्रकार के दल सक्रिय हैं। ऐसे में किसी एक दल का पूर्ण बहुमत लाना मुश्किल होता है।
- राजनीतिक विविधता: राज्यों की सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक विविधता अलग-अलग पार्टियों को जन्म देती है जो अपने क्षेत्र विशेष में मजबूत होती हैं।
- स्थानीय मुद्दों की भूमिका: क्षेत्रीय पार्टियां स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ती हैं, जिससे वे अपने क्षेत्रों में लोकप्रिय होती हैं और राष्ट्रीय दलों को पूर्ण बहुमत से वंचित कर देती हैं।
संयुक्त सरकार का इतिहास (भारत में)
केंद्र में:
- 1977: जनता पार्टी गठबंधन ने कांग्रेस को हराकर पहली बार केंद्र में संयुक्त सरकार बनाई।
- 1989: वी. पी. सिंह के नेतृत्व में जनता दल और अन्य पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई।
- 1996–1999: लगातार कई गठबंधन सरकारें बनीं – एच. डी. देवेगौड़ा, इंदर कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारें।
- 1999–2004: अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की स्थिर गठबंधन सरकार बनी।
- 2004–2014: डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार।
राज्यों में:
राज्य सरकारों में गठबंधन का प्रचलन और भी पुराना और व्यापक है। जैसे:
- बिहार: RJD और कांग्रेस का गठबंधन, फिर JDU और BJP का गठबंधन।
- महाराष्ट्र: शिवसेना, कांग्रेस, NCP के महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन की सरकार।
- उत्तर प्रदेश: SP और BSP के बीच गठबंधन की कोशिशें समय-समय पर होती रही हैं।
संयुक्त सरकार की विशेषताएँ
- समझौते की राजनीति: सभी दलों को एक-दूसरे के साथ तालमेल बनाकर चलना होता है।
- नीतिगत संतुलन: गठबंधन में शामिल दलों की विचारधाराएं अलग होती हैं, इसलिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाया जाता है।
- नेतृत्व की चुनौती: प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के नेतृत्व को सभी दलों की सहमति से स्वीकार करना पड़ता है।
- गठबंधन धर्म: हर दल को गठबंधन की मर्यादा में रहकर काम करना होता है।
संयुक्त सरकार के लाभ
- प्रतिनिधित्व का विस्तार: विविधता वाले देश में ज्यादा वर्गों को सरकार में प्रतिनिधित्व मिलता है।
- तानाशाही की संभावना कम: कोई एक दल सत्ता पर एकाधिकार नहीं कर सकता।
- नीतियों में संतुलन: गठबंधन में अलग-अलग विचारधाराओं के लोग होते हैं, जिससे कोई भी चरमपंथी नीति लागू नहीं हो पाती।
- लोकतंत्र को मजबूती: साझा जिम्मेदारी की भावना बढ़ती है।
संयुक्त सरकार की समस्याएँ
- स्थायित्व की कमी: दलों में मतभेद होने पर सरकार गिरने का खतरा बना रहता है।
- नीतिगत अस्थिरता: अलग-अलग विचारधाराओं के चलते निर्णय लेने में देरी और विरोधाभास उत्पन्न होते हैं।
- ब्लैकमेलिंग की राजनीति: छोटा दल भी समर्थन वापस लेने की धमकी देकर अपनी बातें मनवा सकता है।
- नेतृत्व का अभाव: एक मजबूत नेतृत्व उभर नहीं पाता क्योंकि हर फैसले के लिए सहमति लेनी पड़ती है।
संयुक्त सरकार और राज्य राजनीति
राज्य राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका निर्णायक होती है। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में गठबंधन सरकारों का इतिहास समृद्ध रहा है। क्षेत्रीय मुद्दों और नेताओं की लोकप्रियता गठबंधन राजनीति को जन्म देती है।
उदाहरण:
- केरल: यहां अक्सर वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) के बीच गठबंधन राजनीति होती है।
- झारखंड: कई बार झामुमो, कांग्रेस और RJD जैसे दलों ने मिलकर सरकार बनाई है।
संयुक्त सरकार की सफलता के लिए आवश्यक शर्तें
- स्पष्ट साझा कार्यक्रम
- विश्वसनीय नेतृत्व
- पारदर्शिता और संवाद
- गठबंधन सहयोगियों के बीच विश्वास
समकालीन परिप्रेक्ष्य में गठबंधन सरकार
2024 के लोकसभा चुनावों के बाद एक बार फिर से INDIA गठबंधन (विपक्ष) और NDA गठबंधन (सत्तारूढ़) के बीच मुकाबला दिखा। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की राजनीति अब गठबंधन आधारित राजनीति बन चुकी है।
निष्कर्ष
संयुक्त सरकार भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण लोकतंत्र में एक आवश्यक राजनीतिक संरचना बन गई है। यह प्रणाली जनता को व्यापक प्रतिनिधित्व देती है, लेकिन इसके साथ चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। समझौते, संवाद और सहयोग के सिद्धांतों पर चलने वाली संयुक्त सरकार लोकतंत्र को मजबूती देती है, बशर्ते वह पारदर्शी, स्थिर और जवाबदेह हो।
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