Sansadiya Loktantra se aap kya samajhte hain
संसदीय लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं?
संसदीय लोकतंत्र शासन की वह प्रणाली है, जिसमें जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन संचालित होता है। इसमें संसद (विधानमंडल) सर्वोच्च संस्था होती है, और कार्यपालिका (सरकार) संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। इस प्रणाली में प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी शक्ति का संचालन करते हैं, जबकि राज्य प्रमुख (भारत में राष्ट्रपति) मुख्यतः सांकेतिक या औपचारिक प्रमुख होते हैं।
संसदीय लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएँ
- जन प्रतिनिधित्व
इस प्रणाली में जनता आम चुनावों के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। ये प्रतिनिधि संसद का गठन करते हैं और जनता की इच्छाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। - कार्यपालिका की जिम्मेदारी
सरकार संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। यदि संसद सरकार में विश्वास खो दे, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। - प्रधानमंत्री का नेतृत्व
प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद वास्तविक शक्ति के धारक होते हैं। प्रधानमंत्री संसद में बहुमत पार्टी का नेता होता है। - सत्ताओं का सामंजस्य
संसदीय लोकतंत्र में विधायिका और कार्यपालिका के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। कार्यपालिका संसद से ही बनती है और उसके प्रति जवाबदेह रहती है। - बहुमत का शासन
सरकार संसद में बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन द्वारा बनाई जाती है। बहुमत की यह व्यवस्था लोकतांत्रिक ढांचे की स्थिरता सुनिश्चित करती है। - विपक्ष की भूमिका
संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष को महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है। विपक्ष न केवल सरकार की आलोचना करता है, बल्कि उसकी नीतियों पर रचनात्मक सुझाव भी देता है।
भारत में संसदीय लोकतंत्र
भारत का संविधान 1950 में लागू हुआ और इसमें ब्रिटेन की तरह संसदीय प्रणाली को अपनाया गया। भारत एक संघीय गणराज्य है, लेकिन इसकी कार्यप्रणाली संसदीय लोकतंत्र पर आधारित है।
- भारत में संसद दो सदनों – लोकसभा (निचला सदन) और राज्यसभा (उच्च सदन) – से मिलकर बनती है।
- लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन का नेता प्रधानमंत्री बनता है और मंत्रिपरिषद का गठन करता है।
- सरकार लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है और अविश्वास प्रस्ताव आने पर सरकार गिर सकती है।
संसदीय लोकतंत्र के लाभ
- जन इच्छा का प्रतिनिधित्व – इसमें जनता की इच्छा सीधे संसद में प्रतिबिंबित होती है।
- उत्तरदायित्व – सरकार लगातार संसद और जनता के प्रति जवाबदेह रहती है।
- लचीलापन – सरकार के विफल होने पर बिना बड़े राजनीतिक संकट के नई सरकार का गठन संभव है।
- विपक्ष की निगरानी – विपक्ष सरकार की नीतियों पर निगरानी रखता है और लोकतंत्र को सशक्त बनाता है।
संसदीय लोकतंत्र की कमजोरियाँ
- दलगत राजनीति – इसमें अक्सर सरकारें राजनीतिक दलों के स्वार्थ से प्रभावित हो जाती हैं।
- अस्थिर सरकार – यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत न मिले तो गठबंधन सरकारें अस्थिर हो जाती हैं।
- नीतियों में विलंब – विपक्ष और सरकार के बीच टकराव के कारण निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
- पार्टी अनुशासन का दबाव – सांसद अक्सर अपनी स्वतंत्र राय देने में असमर्थ रहते हैं।
निष्कर्ष
संसदीय लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है जो जनता की इच्छा, प्रतिनिधित्व, बहुमत और जवाबदेही पर आधारित है। भारत में यह प्रणाली लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है और जनता को सरकार के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती है। यद्यपि इसमें कुछ चुनौतियाँ हैं, लेकिन जनता की सक्रिय भागीदारी और राजनीतिक जागरूकता इसे सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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