Rajyon mein Rajneetik Ekiakaran ko Samjhaiye
(B.A. Final Year | History of Contemporary India 1947–2004 | Subject Code: A3-HIST 2D)
प्रश्न – राज्यों में राजनीतिक एकीकरण को समझाइए।
(Explain the Political Integration of States in India)
परिचय:
भारत वर्ष 1947 में जब स्वतंत्र हुआ, तो यह केवल ब्रिटिश भारत नहीं था बल्कि लगभग 562 देसी रियासतों का भी समूह था। स्वतंत्र भारत के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती इन सभी देसी रियासतों का राजनीतिक एकीकरण करना था। इन रियासतों के शासकों को यह अधिकार प्राप्त था कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी एक के साथ मिलें या स्वतंत्र राष्ट्र बने रहें। ऐसे में भारत को एक संगठित राष्ट्र के रूप में स्थापित करना अत्यंत आवश्यक कार्य था।
राजनीतिक एकीकरण का अर्थ:
राजनीतिक एकीकरण का अर्थ है विभिन्न देसी रियासतों को भारत संघ में मिलाकर एक एकीकृत और संगठित राष्ट्र बनाना। यह केवल भौगोलिक नहीं बल्कि राजनीतिक, प्रशासनिक और संवैधानिक दृष्टि से भी आवश्यक था।
राजनीतिक एकीकरण की आवश्यकता:
- राष्ट्रीय एकता स्थापित करना
- देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना
- प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत बनाना
- आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देना
- अलगाववाद की प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाना
राजनीतिक एकीकरण के प्रमुख तत्व:
1. सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका
- भारत के पहले गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री सरदार पटेल ने इस कार्य में नेतृत्व किया।
- उन्होंने अपने राजनैतिक कौशल, कूटनीति, और कभी-कभी बल प्रयोग द्वारा अधिकांश रियासतों को भारत में मिलाया।
2. वी.पी. मेनन का योगदान
- वी.पी. मेनन, गृह मंत्रालय के सचिव थे। उन्होंने रियासतों के दस्तावेजी विलय में तकनीकी और कानूनी सहायता प्रदान की।
- उन्होंने “Instrument of Accession” तैयार किया, जिसे हस्ताक्षर करके रियासतें भारत में शामिल होती थीं।
राजनीतिक एकीकरण की प्रक्रिया:
✦ 1. ‘एक्सेशन’ का दस्तावेज (Instrument of Accession):
- यह दस्तावेज रियासतों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया, जिससे वे भारत संघ का हिस्सा बन गईं।
- उन्हें केवल रक्षा, विदेश नीति और संचार जैसे विषयों पर अधिकार देना होता था।
✦ 2. विलय समझौता (Merger Agreement):
- इसके माध्यम से रियासतों का पूर्ण नियंत्रण भारत सरकार को सौंपा गया।
✦ 3. रियासतों का पुनर्गठन:
- राज्यों को प्रशासनिक सुविधा के अनुसार पुनर्गठित किया गया।
मुख्य रियासतों का एकीकरण और उनकी विशेषताएँ:
रियासत | एकीकरण की तिथि | विशेष जानकारी |
---|---|---|
हैदराबाद | सितम्बर 1948 | ‘ऑपरेशन पोलो’ के तहत सैन्य कार्यवाही द्वारा एकीकरण |
जूनागढ़ | नवम्बर 1947 | जनमत संग्रह द्वारा भारत में विलय |
कश्मीर | अक्टूबर 1947 | पाकिस्तानी आक्रमण के बाद राजा हरिसिंह द्वारा हस्ताक्षर |
भोपाल, ट्रावणकोर, मैसूर | शांतिपूर्ण रूप से एकीकृत | |
मणिपुर, त्रिपुरा | विलय समझौते के माध्यम से भारत में शामिल |
राजनीतिक एकीकरण के प्रमुख चरण:
1. 1947–1949: प्रारंभिक विलय
- लगभग 500 से अधिक रियासतों ने स्वेच्छा से भारत में विलय किया।
- पटियाला, बड़ौदा, ग्वालियर जैसी प्रमुख रियासतें शामिल थीं।
2. 1948–1950: सैन्य कार्यवाहियाँ और बल प्रयोग
- हैदराबाद और जूनागढ़ जैसे राज्यों में बल प्रयोग की आवश्यकता पड़ी।
3. 1956: राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना
- भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ।
4. 1960–1972: शेष क्षेत्रों का विलय
- गोवा (1961), सिक्किम (1975) जैसे क्षेत्र बाद में भारत में शामिल हुए।
राजनीतिक एकीकरण की विशेषताएँ:
- अत्यधिक जटिल और विविध प्रक्रिया:
- हर राज्य की स्थिति अलग थी — कोई हिंदू राजा, कोई मुस्लिम, कोई स्वतंत्रता की इच्छा रखने वाला।
- कूटनीति और सैन्य शक्ति का संतुलन:
- सरदार पटेल और वी.पी. मेनन ने जहां संभव हुआ, कूटनीति अपनाई और आवश्यकतानुसार बल प्रयोग किया।
- जनता की भागीदारी:
- कुछ रियासतों में जनमत संग्रह द्वारा फैसला लिया गया (जैसे — जूनागढ़)।
- कानूनी प्रक्रिया और संविधान का विकास:
- भारत सरकार अधिनियम 1935 और बाद में भारतीय संविधान ने इन एकीकरणों को कानूनी वैधता दी।
राजनीतिक एकीकरण की चुनौतियाँ:
- राजाओं की अनिच्छा और स्वार्थ:
- कई रियासतों के राजा अपनी सत्ता और विशेषाधिकार छोड़ने को तैयार नहीं थे।
- धार्मिक और सांप्रदायिक विरोध:
- जैसे कि जूनागढ़ में मुस्लिम नवाब का पाकिस्तान में विलय का फैसला।
- विदेशी हस्तक्षेप और पाकिस्तान की भूमिका:
- कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा हमला और अंतरराष्ट्रीय दबाव।
- भौगोलिक जटिलताएँ:
- कुछ रियासतें द्वीपीय या दूरस्थ थीं, जैसे लक्षद्वीप और अंडमान।
परिणाम और महत्व:
- राष्ट्रीय एकता और अखंडता की स्थापना
- प्रशासनिक व्यवस्था में स्थिरता
- संविधान निर्माण में सहूलियत
- भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित किया
निष्कर्ष:
भारत का राजनीतिक एकीकरण एक असाधारण उपलब्धि थी। यह कार्य सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे दूरदर्शी नेताओं और भारत सरकार के दृढ़ संकल्प का परिणाम था। अगर यह कार्य समय पर न किया गया होता, तो भारत आज छोटे-छोटे राज्यों में बंटा होता और राष्ट्रीय एकता का सपना अधूरा रह जाता। यह एकीकरण भारत के लोकतंत्र, प्रशासन और संप्रभुता की नींव है, जिसने स्वतंत्र भारत को एक संगठित राष्ट्र बनाया।
1 thought on “राज्यों में राजनीतिक एकीकरण को समझाइए। Rajyon mein Rajneetik Ekiakaran ko Samjhaiye”