Mahila Sashaktikaran par Prakash Daliye
Subject: History (Indian Life Tradition) | Paper – I | Subject Code: A3-HIST 1D
For B.A. Third Students
महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डालिए
( बी.ए. तृतीय वर्ष – इतिहास | भारतीय जीवन परंपरा – पेपर-I | विषय कोड: A3-HIST 1D)
प्रस्तावना:
महिला सशक्तिकरण का अर्थ है – महिलाओं को समाज में समान अधिकार, अवसर और सम्मान प्रदान करना, ताकि वे अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। यह केवल एक सामाजिक परिवर्तन नहीं है, बल्कि एक व्यापक आंदोलन है जो लैंगिक समानता, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और राजनीतिक भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
भारत जैसे पारंपरिक समाज में महिला सशक्तिकरण केवल आधुनिक युग की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा का भी हिस्सा रहा है, जहां नारी को “शक्ति”, “सरस्वती” और “लक्ष्मी” के रूप में पूजा गया है। लेकिन समय के साथ-साथ महिलाओं की स्थिति में गिरावट आई और वे कई प्रकार के भेदभावों और अत्याचारों की शिकार बनीं।
प्राचीन भारत में महिलाओं की स्थिति:
(क) वैदिक युग में:
- वैदिक युग में महिलाओं को सम्माननीय स्थान प्राप्त था।
- महिलाएं वेदों और उपनिषदों का अध्ययन करती थीं।
- ऋषिकाएँ जैसे – घोषा, लोपामुद्रा, अपाला, गार्गी, मैत्रेयी आदि विद्वान थीं और उन्होंने वैदिक साहित्य में योगदान दिया।
- विवाह, शिक्षा, संपत्ति में अधिकार और धार्मिक अनुष्ठानों में सक्रिय भागीदारी महिलाओं को प्राप्त थी।
(ख) उत्तर वैदिक और मध्यकालीन युग में:
- इस युग में महिलाओं की स्थिति में धीरे-धीरे गिरावट आई।
- बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा, विधवा उत्पीड़न, बहुपत्नी प्रथा आदि जैसी कुरीतियाँ समाज में फैल गईं।
- महिलाओं को शिक्षा और संपत्ति के अधिकार से वंचित कर दिया गया।
- महिलाओं की स्वतंत्रता पर सामाजिक और धार्मिक बंदिशें लगाई गईं।
आधुनिक युग में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता:
औपनिवेशिक काल में समाज सुधारकों और राष्ट्रवादी नेताओं ने महिलाओं की दशा सुधारने की दिशा में कार्य किया।
- राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के उन्मूलन के लिए संघर्ष किया।
- ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवा विवाह और महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया।
- महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया और उन्हें राष्ट्र निर्माण का हिस्सा बनाया।
महिला सशक्तिकरण के विभिन्न आयाम:
1. शैक्षिक सशक्तिकरण:
- शिक्षा ही महिलाओं के सशक्तिकरण की नींव है।
- शिक्षित महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बनती हैं, बल्कि समाज और परिवार को भी शिक्षित करती हैं।
- भारत सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ जैसी योजनाएं चलाईं।
2. आर्थिक सशक्तिकरण:
- आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिलाएं अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम होती हैं।
- महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) ने ग्रामीण भारत की महिलाओं को रोजगार और बचत की दिशा में प्रेरित किया है।
- सरकार ने मुद्रा योजना, महिला उद्यमिता योजनाएं, स्टार्टअप इंडिया आदि से महिलाओं को प्रोत्साहन दिया है।
3. राजनीतिक सशक्तिकरण:
- पंचायत राज व्यवस्था में महिलाओं को 33% आरक्षण दिया गया है।
- कई राज्य सरकारों ने 50% आरक्षण की व्यवस्था भी लागू की है।
- इंदिरा गांधी, सुषमा स्वराज, ममता बनर्जी, निर्मला सीतारमण जैसी महिलाएं राजनीति में सफल नेतृत्व का उदाहरण हैं।
4. सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण:
- महिलाएं अब साहित्य, संगीत, कला, पत्रकारिता, सिनेमा, विज्ञान, खेल आदि सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं।
- सोशल मीडिया और जनसंचार माध्यमों ने महिलाओं को अपनी बात रखने का मंच दिया है।
- लैंगिक समानता, घरेलू हिंसा, यौन शोषण जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ी है।
महिला सशक्तिकरण से जुड़ी प्रमुख सरकारी योजनाएं:
योजना का नाम | उद्देश्य |
---|---|
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ | कन्या भ्रूण हत्या रोकना और बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना |
उज्ज्वला योजना | गरीब महिलाओं को गैस सिलेंडर प्रदान कर स्वास्थ्य सुरक्षा देना |
सुकन्या समृद्धि योजना | बालिकाओं की उच्च शिक्षा और विवाह के लिए आर्थिक सहायता |
महिला शक्ति केंद्र | ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता |
स्वयं योजना | डिजिटल माध्यम से महिलाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण देना |
स्त्री शक्ति पैकेज | महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता देना |
आज की सशक्त महिलाएं – प्रेरणा स्रोत:
- कल्पना चावला – अंतरिक्ष में भारत का नाम रोशन करने वाली पहली भारतीय महिला।
- मैरी कॉम – बॉक्सिंग में विश्व विजेता।
- पी.वी. सिंधु और साइना नेहवाल – बैडमिंटन में भारत का गौरव।
- इंदिरा गांधी – भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री।
- गौरी शिंदे, जोया अख्तर, एकता कपूर – फिल्म निर्माण में अग्रणी महिलाएं।
महिला सशक्तिकरण में आने वाली चुनौतियाँ:
- लैंगिक भेदभाव – लड़कों को प्राथमिकता देने की प्रवृत्ति।
- घरेलू हिंसा – विवाह के बाद महिलाओं के खिलाफ अत्याचार।
- यौन उत्पीड़न – कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थलों पर असुरक्षा।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी – खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- समान वेतन – पुरुषों की तुलना में कम वेतन।
समाधान और सुझाव:
- महिलाओं के प्रति मानसिकता में बदलाव आवश्यक है।
- कानूनों को प्रभावी रूप से लागू करना चाहिए।
- बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- महिलाओं को नेतृत्व के अवसर देने चाहिए।
- मीडिया और साहित्य को महिलाओं की सकारात्मक छवि प्रस्तुत करनी चाहिए।
उपसंहार:
महिला सशक्तिकरण केवल नारों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि यह व्यवहारिक और नीतिगत निर्णयों के माध्यम से समाज में उतारा जाना चाहिए। भारत की प्राचीन जीवन परंपरा में नारी को “देवी”, “शक्ति”, और “ज्ञान” का रूप माना गया है।
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:” – जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।
एक समतामूलक, समावेशी और सशक्त भारत तभी संभव है, जब देश की आधी आबादी – महिलाएं – हर क्षेत्र में समान भागीदारी और अवसर प्राप्त करें।
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