खाद्य सुरक्षा अधिनियम का एक उद्देश्य लिखिए। Khaadya suraksha adhiniyam ka ek uddeshya likhiye.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम का एक उद्देश्य (1000 शब्दों में विस्तृत उत्तर)
Bachelor of Arts (BA) – Third Year (Session 2024–25)
Subject: Political Science (State Politics in India)
Paper – II | Subject Code: A3-POSC 2T

✦ प्रस्तावना:

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां की बड़ी आबादी गरीब, कमजोर और निम्न आय वर्ग से संबंधित है। स्वतंत्रता के बाद से ही भारत में भूख और कुपोषण एक गंभीर समस्या रही है। इसी समस्या के समाधान हेतु भारत सरकार ने वर्ष 2013 में “राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA – National Food Security Act)” लागू किया, जिसका मुख्य उद्देश्य है — सभी नागरिकों को आवश्यक खाद्य सामग्री उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना और भूख की समस्या का समाधान करना।


✦ खाद्य सुरक्षा अधिनियम (2013) का परिचय:

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को 10 सितंबर 2013 को अधिसूचित किया गया। यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार का एक विस्तार माना गया।

यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि देश की लगभग दो-तिहाई आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाए। इसके अंतर्गत चावल ₹3/kg, गेहूं ₹2/kg और मोटा अनाज ₹1/kg की दर से पात्र परिवारों को वितरण किया जाता है।


✦ खाद्य सुरक्षा अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य:

इस अधिनियम का एक मुख्य उद्देश्य है —

“गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लोगों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न सुलभ करवाना, जिससे उन्हें भूख और कुपोषण से बचाया जा सके और उन्हें पोषणयुक्त जीवन जीने का अधिकार मिल सके।”

इस उद्देश्य के तहत केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को सशक्त बनाती हैं और जरूरतमंद परिवारों तक खाद्यान्न पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाती हैं।


✦ प्रमुख प्रावधान:

  1. लाभार्थियों की पहचान – राज्य सरकारों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे ‘अंत्योदय अन्न योजना’ और प्राथमिकता वाले परिवारों की सूची तैयार करें।
  2. रियायती दरों पर खाद्यान्न – पात्र लोगों को चावल, गेहूं और मोटा अनाज नाममात्र दर पर उपलब्ध कराया जाता है।
  3. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक भोजन और मातृत्व लाभ दिया जाता है।
  4. 6 महीने से 14 वर्ष तक के बच्चों को स्कूलों और आंगनवाड़ियों में पोषण युक्त भोजन दिया जाता है।
  5. खाद्य सुरक्षा भत्ता – यदि किसी कारणवश खाद्यान्न वितरित नहीं होता है, तो लाभार्थी को नगद मुआवजा प्रदान किया जाता है।

✦ राज्य सरकारों की भूमिका:

राज्यों की जिम्मेदारी होती है कि वे:

  • लाभार्थियों की सूची को नियमित रूप से अपडेट करें,
  • PDS दुकानों की निगरानी करें,
  • भ्रष्टाचार रोकें,
  • वितरण की पारदर्शिता सुनिश्चित करें।

हर राज्य में राज्य खाद्य आयोग गठित किया जाता है जो अधिनियम के सही क्रियान्वयन पर निगरानी रखता है।


✦ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभ:

  1. भूखमरी में कमी: इससे करोड़ों गरीबों को सस्ते में भोजन उपलब्ध होने से भूखमरी की घटनाओं में कमी आई है।
  2. कुपोषण में सुधार: बच्चों और महिलाओं को पौष्टिक आहार मिलने से स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार हुआ है।
  3. सामाजिक सुरक्षा: यह अधिनियम कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा देकर सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक मजबूत कदम है।
  4. सशक्तिकरण: गरीबों और महिलाओं को पोषण व सुरक्षा देने से समाज के हाशिये पर खड़े लोग सशक्त हुए हैं।

✦ चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:

  1. लाभार्थियों की गलत पहचान: कई बार वास्तविक गरीबों को लाभ नहीं मिल पाता, जबकि अमीर वर्ग योजना का फायदा उठाते हैं।
  2. भ्रष्टाचार: PDS प्रणाली में गड़बड़ियों और कालाबाज़ारी की शिकायतें रहती हैं।
  3. भंडारण की समस्या: FCI के गोदामों में खाद्यान्न सड़ने की खबरें अक्सर आती हैं, जिससे संसाधनों का नुकसान होता है।
  4. राज्यों पर भार: राज्यों को योजना को लागू करने में प्रशासनिक और वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ता है।

✦ समाधान और सुझाव:

  1. डिजिटल प्रणाली का उपयोग: राशन कार्ड को आधार से जोड़ने से फर्जी लाभार्थियों को हटाया जा सकता है।
  2. ई–POS मशीनें: राशन दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल मशीनें लगाकर पारदर्शिता लाई जा सकती है।
  3. सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय निकायों और पंचायतों की भागीदारी से निगरानी बेहतर हो सकती है।
  4. भंडारण में सुधार: आधुनिक गोदाम और शीत भंडारण व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।

✦ राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महत्व:

राजनीति में खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा भी बन गया है। अनेक राज्य सरकारें केंद्र की इस योजना को अपने तरीके से लागू कर रही हैं और इसे एक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) की भावना से जोड़ती हैं। यह अधिनियम राज्य–केंद्र संबंधों को भी प्रभावित करता है क्योंकि इसके क्रियान्वयन में दोनों की सहभागिता होती है।


✦ निष्कर्ष:

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 भारत में भूख और कुपोषण के खिलाफ एक ऐतिहासिक कदम है। यह गरीबों को सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार को सुनिश्चित करता है। हालांकि इसमें कुछ व्यावहारिक कठिनाइयाँ हैं, लेकिन इन पर काबू पाकर इसे और प्रभावशाली बनाया जा सकता है। यह अधिनियम भारतीय लोकतंत्र के सामाजिक और आर्थिक न्याय की अवधारणा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।


यदि आप चाहें तो इस उत्तर का PDF या एक और उत्तर अंग्रेज़ी या Hinglish में भी दिया जा सकता है।

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