भारतीय लोकतंत्र की जानकारी पर प्रकाश डालिए। Bhartiya Loktantra Ki Jankari Par Prakash Daliye

Bhartiya Loktantra Ki Jankari Par Prakash Daliye

भारतीय लोकतंत्र की जानकारी पर प्रकाश डालिए

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जहाँ जनता की भागीदारी और उसकी इच्छा शासन की नींव है। लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ है – “जनता का शासन, जनता के द्वारा और जनता के लिए।” भारतीय लोकतंत्र की विशेषता यह है कि यह न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी समावेशी है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य बना।

भारतीय लोकतंत्र की जड़ें गहरी और ऐतिहासिक हैं। प्राचीन भारत में भी गणराज्य व्यवस्था और जनसभा जैसी संस्थाएँ विद्यमान थीं। लेकिन आधुनिक अर्थों में लोकतंत्र का विकास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुआ और संविधान द्वारा इसे औपचारिक रूप दिया गया।


1. भारतीय लोकतंत्र का अर्थ और परिभाषा

भारतीय लोकतंत्र का मतलब है कि देश का शासन जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलता है। हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है और चुनावों के द्वारा वह अपने प्रतिनिधियों को चुन सकता है।
अब्राहम लिंकन की प्रसिद्ध परिभाषा –

“डेमोक्रेसी इज गवर्नमेंट ऑफ द पीपल, बाय द पीपल, एंड फॉर द पीपल”
भारतीय लोकतंत्र के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।


2. भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएँ

(क) संवैधानिक लोकतंत्र

भारत का लोकतंत्र संविधान द्वारा संचालित है। भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार और कर्तव्य प्रदान किए हैं। यह शासन प्रणाली को लोकतांत्रिक, समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष बनाने की गारंटी देता है।

(ख) संसदीय शासन प्रणाली

भारत में ब्रिटेन की तरह संसदीय शासन प्रणाली लागू है। इसमें राष्ट्रपति राष्ट्र का संवैधानिक प्रमुख है, जबकि वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के पास होती है।

(ग) सर्वभौमिक वयस्क मताधिकार

1950 से ही भारत में सभी वयस्क नागरिकों (18 वर्ष से ऊपर) को बिना किसी भेदभाव के वोट देने का अधिकार है। यह भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

(घ) संघीय ढांचा

भारतीय लोकतंत्र संघीय ढांचे पर आधारित है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है।

(ङ) न्यायपालिका की स्वतंत्रता

भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र और सर्वोच्च है। यह संविधान की रक्षा करती है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करती है।

(च) धर्मनिरपेक्षता

भारतीय लोकतंत्र का एक मुख्य स्तंभ धर्मनिरपेक्षता है। राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेता और सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखता है।


3. भारतीय लोकतंत्र के संस्थान

भारतीय लोकतंत्र विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से संचालित होता है।

  • संसद – इसमें लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं। लोकसभा में जनता द्वारा चुने गए सदस्य होते हैं।
  • कार्यपालिका – इसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद शामिल हैं।
  • न्यायपालिका – सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय न्यायिक व्यवस्था का संचालन करते हैं।
  • चुनाव आयोग – स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की स्थापना की गई है।
  • मीडिया और प्रेस – मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है जो सरकार और जनता के बीच संवाद स्थापित करता है।

4. भारतीय लोकतंत्र की सफलताएँ

  • सर्वभौमिक मताधिकार से हर नागरिक को शासन में भागीदारी का अवसर मिला।
  • शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन – भारत में अब तक 17 लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए हैं।
  • विविधता में एकता – भारत में विभिन्न धर्मों, भाषाओं और जातियों के बावजूद लोकतंत्र ने एकता और अखंडता को बनाए रखा है।
  • आरक्षण और सामाजिक न्याय – पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को समान अवसर प्रदान किए गए हैं।
  • मजबूत न्यायपालिका – न्यायपालिका ने जनता के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

5. भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ

  • भ्रष्टाचार – राजनीति और प्रशासन में भ्रष्टाचार लोकतंत्र की सबसे बड़ी समस्या है।
  • धन और बल का प्रयोग – चुनावों में धनबल और बाहुबल का बढ़ता प्रभाव लोकतंत्र को कमजोर करता है।
  • जातिवाद और सांप्रदायिकता – जातीय और धार्मिक राजनीति लोकतांत्रिक मूल्यों को चुनौती देती है।
  • राजनीतिक दलों की संख्या और अस्थिरता – क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या और गठबंधन सरकारों के कारण स्थिर शासन में बाधा आती है।
  • अशिक्षा और गरीबी – लोकतंत्र में नागरिकों की जागरूकता आवश्यक है, लेकिन अशिक्षा और गरीबी लोकतांत्रिक भागीदारी को सीमित करती हैं।

6. भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने के उपाय

  • राजनीतिक सुधार – चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी और धनबल व बाहुबल को रोकना होगा।
  • शिक्षा और जागरूकता – नागरिकों को राजनीतिक और सामाजिक शिक्षा देना जरूरी है।
  • भ्रष्टाचार उन्मूलन – कड़े कानून और ईमानदार प्रशासन से भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।
  • मीडिया की स्वतंत्रता – प्रेस और मीडिया को निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाना आवश्यक है।
  • न्यायपालिका की मजबूती – न्याय प्रणाली को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाना चाहिए।

7. भारतीय लोकतंत्र की विशेष उपलब्धि

विश्व के अनेक देशों में तानाशाही और सैन्य शासन देखने को मिलते हैं, लेकिन भारत ने 75 वर्षों से अधिक समय तक लोकतंत्र की परंपरा को कायम रखा है। यह भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी सफलता है। भारत का लोकतंत्र न केवल देशवासियों के लिए, बल्कि विश्व के लिए भी प्रेरणा स्रोत है।


8. निष्कर्ष

भारतीय लोकतंत्र एक समावेशी, बहुलवादी और प्रगतिशील प्रणाली है, जो समय के साथ और भी परिपक्व हुई है। इसमें नागरिकों को शासन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष भागीदारी का अवसर मिलता है। यद्यपि इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसकी जड़ें गहरी और मजबूत हैं।
भारतीय लोकतंत्र की सफलता इसी में है कि यह विभिन्नताओं को एकता में बदलने और सबको समान अवसर देने में सक्षम रहा है।


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