Bharat ke Melon ka Mahatva Samjhaiye
भारत के मेलों का महत्व को समझाइए।
(B.A. – इतिहास – भारतीय जीवन परंपरा)
B.A. इतिहास विषय (Indian Life Tradition – Paper I | Subject Code: A3-HIST 1D)
प्रस्तावना:
भारत एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, बहुधर्मी और बहुभाषी देश है जहाँ विविधता में एकता की परंपरा सदियों से बनी हुई है। इस विविधता को जोड़े रखने और सामूहिक जीवन को सशक्त करने में मेलों का विशेष महत्व है। मेले भारतीय समाज की आत्मा हैं जो धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन को एक मंच प्रदान करते हैं। ये न केवल श्रद्धा और आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि स्थानीय जीवन, लोक परंपराओं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भी सशक्त आधार हैं।
1. सांस्कृतिक महत्व:
भारत के मेले हमारी लोक संस्कृति, पारंपरिक जीवन शैली, रीति-रिवाज, लोक नृत्य, गीत-संगीत आदि को जीवित रखने वाले स्तंभ हैं।
- विभिन्न क्षेत्रीय मेलों में स्थानीय संस्कृति का विशिष्ट रंग देखने को मिलता है।
- जैसे राजस्थान का पुष्कर मेला जहाँ ऊँटों का व्यापार, लोकनृत्य, पारंपरिक पहनावे, और मेलजोल की भावना दृष्टिगोचर होती है।
- बंगाल का दुर्गा पूजा मेला हो या मध्य प्रदेश का भील मेला, सभी में क्षेत्रीय लोक परंपराओं का अद्भुत संगम होता है।
2. धार्मिक महत्व:
अधिकांश भारतीय मेले किसी न किसी धार्मिक अवसर या देवी-देवता की पूजा से जुड़े होते हैं।
- कुंभ मेला, जो चार स्थानों (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, नासिक) पर हर 12 वर्षों में होता है, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है।
- गंगा दशहरा, छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, माघ मेला जैसे अवसरों पर भी मेले लगते हैं, जहाँ लाखों श्रद्धालु एकत्र होकर स्नान, पूजा, कीर्तन आदि में भाग लेते हैं।
- यह धार्मिक आस्था को जनमानस में बनाए रखने और सामूहिक धर्माचरण की भावना को बढ़ाता है।
3. सामाजिक महत्व:
मेले समाज को एक साथ जोड़ने का सशक्त माध्यम होते हैं। यह:
- सामाजिक संपर्क और सामूहिक जीवन के आदान-प्रदान का मंच प्रदान करते हैं।
- विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ दूर-दूर तक बसे गाँव होते हैं, मेले ही एक ऐसा अवसर होते हैं जहाँ लोग एकत्र होते हैं।
- विवाह, रिश्ता तय करना, पारिवारिक समस्याओं पर चर्चा आदि भी मेलों के दौरान होते हैं।
उदाहरण: उत्तर भारत के ‘बल्देव का मेला’ या बुंदेलखंड का ‘लल्ली मेला’ — सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं।
4. आर्थिक महत्व:
भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मेलों का आर्थिक महत्व अत्यधिक है।
- मेले स्थानीय व्यापारियों, कारीगरों, शिल्पकारों को अपनी वस्तुएँ बेचने का मंच देते हैं।
- हस्तशिल्प, बर्तन, गहने, खिलौने, कपड़े, जड़ी-बूटियाँ आदि की खुले बाजारों में बिक्री होती है।
- कई किसान और पशुपालक भी अपने पशुओं को बेचने या खरीदने हेतु मेलों में भाग लेते हैं, जैसे – सोनपुर का पशु मेला (बिहार)।
इस प्रकार मेले ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करते हैं।
5. मनोरंजन का साधन:
ग्रामीण भारत में आज भी मनोरंजन के साधन सीमित हैं। मेले:
- झूले, नौटंकी, कठपुतली, जादू के खेल, तमाशे, लोकनृत्य, फिल्मी गीतों की प्रस्तुतियाँ आदि के माध्यम से लोगों को आनंदित करते हैं।
- यह बच्चों, युवाओं और महिलाओं के लिए विशेष आकर्षण होते हैं।
- कला, संगीत और लोक खेलों के माध्यम से मेले जनमानस को दैनिक जीवन की कठिनाइयों से विराम देते हैं।
6. लोक कला, भाषा और परंपराओं का संरक्षण:
मेले उन सभी लोक कलाओं को सामने लाते हैं जो आधुनिक जीवनशैली के कारण लुप्त होती जा रही हैं।
- मेले लोकगीत, वाद्य यंत्र, पारंपरिक नृत्य, क्षेत्रीय भाषा की कहानियाँ, स्थानीय व्यंजन और परिधान प्रस्तुत करने का माध्यम बनते हैं।
- इन आयोजनों में जनपद विशेष की बोलियों और अभिव्यक्तियों का प्रदर्शन भी होता है, जिससे भाषा और संस्कृति का संरक्षण होता है।
7. राष्ट्रीय एकता और सामूहिक भावना का प्रतीक:
भारत जैसे विविधताओं वाले देश में मेले राष्ट्रीय एकता के ध्वजवाहक बनते हैं।
- एक ही मेले में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे विभिन्न धर्मों के लोग भाग लेते हैं।
- वे सभी एकता, सद्भाव, और भाईचारे का परिचय देते हैं।
- उदाहरण के लिए – अजमेर शरीफ का मेला जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग दर्शन के लिए आते हैं।
8. पर्यटन और क्षेत्रीय विकास में योगदान:
कई बड़े मेले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को आकर्षित करते हैं।
- विदेशी पर्यटक भारतीय संस्कृति और जीवनशैली को जानने के लिए मेलों में भाग लेते हैं।
- इससे संबंधित क्षेत्र में होटल, सड़क, बिजली, संचार, परिवहन आदि का विकास होता है।
- प्रयागराज का कुंभ, पुष्कर मेला, गोवा का कार्निवल जैसे मेले पर्यटन को गति देते हैं।
9. मेले और शिक्षा/जागरूकता:
वर्तमान समय में मेलों का उपयोग सरकारी योजनाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, महिला सशक्तिकरण, बाल विकास, कृषि शिक्षा आदि को फैलाने के लिए भी किया जाता है।
- कई मेलों में शैक्षिक प्रदर्शनी, कृषि मेले, स्वास्थ्य शिविर आदि भी आयोजित होते हैं।
- यह लोगों में जागरूकता और सशक्तिकरण की भावना को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष:
भारत के मेले केवल धार्मिक या मनोरंजन के आयोजन नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति, परंपरा, अर्थव्यवस्था और समाज की आत्मा हैं। ये आयोजन विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे, प्रेम, सहयोग, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं। यह कहना उचित होगा कि “भारत के मेलों में ही भारत की आत्मा बसती है।” उनके माध्यम से भारतीय जीवनशैली की विविधता और समरसता दोनों का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। अतः मेले भारतीय जीवन परंपरा के जीवंत और अविभाज्य अंग हैं।
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