हरित क्रांति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? Harit Kranti Bharatiya Arthavyavastha ke liye kyon mahatvapurn hai

Harit Kranti Bharatiya Arthavyavastha ke liye kyon mahatvapurn hai

प्रश्न – हरित क्रांति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

परिचय

हरित क्रांति का तात्पर्य 1960 के दशक में भारत में शुरू हुए एक कृषि परिवर्तन से है, जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करना था। इस आंदोलन के अंतर्गत उच्च उत्पादकता वाली बीज किस्मों (HYV), रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, और सिंचाई की उन्नत तकनीकों का प्रयोग किया गया। यह क्रांति तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और बाद में इंदिरा गांधी के शासनकाल में प्रारंभ हुई थी। इसका उद्देश्य भारत को खाद्यान्न संकट से उबारना और आत्मनिर्भर बनाना था। इस क्रांति ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा और स्थायी प्रभाव डाला।


1. कृषि उत्पादन में वृद्धि

हरित क्रांति का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव खाद्यान्न, विशेषकर गेहूं और चावल के उत्पादन में असाधारण वृद्धि के रूप में देखा गया। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। इससे भारत की खाद्यान्न आयात पर निर्भरता घट गई और आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई।


2. खाद्य सुरक्षा में सुधार

हरित क्रांति से पहले भारत विदेशी सहायता और खाद्यान्न आयात पर निर्भर था। इस क्रांति ने अकाल और खाद्यान्न की कमी की समस्या को काफी हद तक समाप्त कर दिया। इससे देश को अपनी बढ़ती जनसंख्या के लिए स्थिर खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायता मिली।


3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

जिन क्षेत्रों में हरित क्रांति की तकनीकों को अपनाया गया, वहां किसानों की आय में वृद्धि हुई। इससे कृषि मशीनरी, उर्वरक, बीज और श्रम की मांग में वृद्धि हुई, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। साथ ही सिंचाई, सड़क और भंडारण सुविधाओं के विकास से ग्रामीण अवसंरचना में सुधार हुआ।


4. रोजगार सृजन

हरित क्रांति के कारण खेतों में बोवाई, निराई, कटाई जैसे कार्यों में रोजगार के अवसर बढ़े। इसके अलावा परिवहन, विपणन और उर्वरक उत्पादन जैसे क्षेत्रों में भी नौकरियों का सृजन हुआ। इससे ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिला और पलायन में कमी आई।


5. औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन

हरित क्रांति से उर्वरक, ट्रैक्टर, पंपसेट और कीटनाशक उद्योगों की मांग में वृद्धि हुई, जिससे इन उद्योगों का विकास हुआ। इससे कृषि और उद्योग के बीच एक सकारात्मक संबंध बना, जिसने संपूर्ण अर्थव्यवस्था को गति दी।


6. निर्यात क्षमता में वृद्धि

खाद्यान्न उत्पादन में अधिशेष होने के कारण भारत ने चावल और गेहूं का निर्यात करना शुरू किया। इससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा और व्यापार संतुलन बेहतर हुआ। भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि भी सशक्त हुई।


7. सहायक क्षेत्रों का विकास

हरित क्रांति ने डेयरी, कुक्कुट पालन और मत्स्य पालन जैसे सहायक क्षेत्रों के विकास में भी योगदान दिया। किसानों की आय बढ़ने से इन क्षेत्रों में निवेश और मांग में वृद्धि हुई। श्वेत क्रांति इसका एक प्रमुख उदाहरण है।


8. तकनीकी उन्नयन

हरित क्रांति ने कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया। कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और विस्तार सेवाओं ने आधुनिक तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।


9. नीतिगत और संस्थागत सहयोग

सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), इनपुट सब्सिडी, ग्रामीण ऋण संस्थाएं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) जैसे संस्थागत सुधार किए, जिससे हरित क्रांति की स्थायित्व को बनाए रखा गया।


10. क्षेत्रीय विषमताएं

हरित क्रांति का प्रभाव मुख्यतः कुछ चुनिंदा क्षेत्रों तक ही सीमित रहा। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य तेजी से आगे बढ़े, जबकि पूर्वी और दक्षिणी भारत के कई हिस्से पिछड़ गए। इससे क्षेत्रीय असंतुलन उत्पन्न हुआ।


11. पर्यावरणीय चिंताएं

रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा की उर्वरता में कमी आई, जल प्रदूषण बढ़ा, और जलभराव व लवणता जैसी समस्याएं उत्पन्न हुईं। इससे हरित क्रांति की टिकाऊता पर प्रश्नचिह्न उठे।


12. सामाजिक संरचना पर प्रभाव

हरित क्रांति ने ग्रामीण समाज की संरचना में भी परिवर्तन किया। बड़े और समृद्ध किसान इससे अधिक लाभान्वित हुए, जबकि सीमांत और लघु किसान पीछे रह गए। इससे आय असमानता बढ़ी और सामाजिक तनाव उत्पन्न हुए।


13. आर्थिक योजना में योगदान

हरित क्रांति की सफलता ने सरकार को पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया। इससे राष्ट्रीय योजना और नीति निर्धारण को दिशा मिली।


14. भविष्य की कृषि सुधारों की नींव

हरित क्रांति ने खाद्य सुरक्षा मिशन, ई-नाम, पीएम किसान योजना और डिजिटल खेती जैसे सुधारों के लिए नींव तैयार की। इसने यह सिद्ध कर दिया कि वैज्ञानिक और तकनीकी हस्तक्षेप से भारतीय कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकते हैं।


निष्कर्ष

हरित क्रांति स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही है। इसने न केवल भारत को खाद्यान्न संकट से उबारा, बल्कि कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर, आधुनिक और उत्पादनशील बनाया। हालांकि इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी रहे हैं, जैसे पर्यावरणीय असंतुलन और क्षेत्रीय असमानता, फिर भी इसके आर्थिक योगदान को नकारा नहीं जा सकता। भविष्य में भारत को सतत और समावेशी कृषि रणनीतियों के माध्यम से हरित क्रांति की उपलब्धियों को और आगे बढ़ाना होगा।

REGIONAL GEOGRAPHY OF INDIA

 

1 thought on “हरित क्रांति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? Harit Kranti Bharatiya Arthavyavastha ke liye kyon mahatvapurn hai”

Leave a Comment