Bharat mein van sansadhanon ki pramukh visheshataen kya hain
प्रश्न – भारत में वन संसाधनों की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
भारत में वन संसाधनों की प्रमुख विशेषताएं
परिचय
भारत जैव विविधता और वन संसाधनों के मामले में विश्व के प्रमुख देशों में शामिल है। भारतीय वन न केवल वनस्पति और जीव-जंतुओं का आवास हैं, बल्कि जलवायु संतुलन, आदिवासी जीवन, उद्योगों को कच्चा माल, और कार्बन अवशोषण में भी अहम भूमिका निभाते हैं। देश की भौगोलिक विविधता और जलवायु विभिन्न प्रकार के वनों की उत्पत्ति को संभव बनाती है – जैसे उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, पर्णपाती वन, दलदली मैंग्रोव वन, अल्पाइन वन और कांटेदार वन।
1. विशाल और विविध वन क्षेत्र
भारत का लगभग 24% भौगोलिक क्षेत्र वनों से आच्छादित है। यह वन हिमालय की बर्फीली ढलानों से लेकर पश्चिमी घाटों और उत्तर-पूर्वी राज्यों के घने जंगलों तक फैले हैं। इस विविधता के कारण विभिन्न पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता क्षेत्रों का विकास हुआ है।
2. वन प्रकारों का वर्गीकरण
भारत में वनों का वर्गीकरण वर्षा, तापमान, ऊँचाई और मिट्टी के आधार पर किया गया है:
- उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन – अंडमान-निकोबार, पश्चिमी घाटों में।
- पर्णपाती वन – मध्य भारत, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि में पाए जाते हैं।
- पर्वतीय वन – हिमालयी क्षेत्र में।
- मैंग्रोव वन – सुंदरबन जैसे तटीय क्षेत्रों में।
- कांटेदार वन – राजस्थान और शुष्क क्षेत्रों में।
3. समृद्ध जैव विविधता
भारतीय वनों में लगभग 45,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ और 90,000 से अधिक जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। बाघ, एशियाई शेर, हाथी, गैंडा जैसे कई दुर्लभ और संकटग्रस्त जीव इन वनों में पाए जाते हैं। भारत के वन वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट का हिस्सा हैं।
4. पारिस्थितिक महत्व
वनों का पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व है:
- जलवायु नियमन – वनों द्वारा कार्बन अवशोषण।
- मृदा अपरदन से रोकथाम – वृक्षों की जड़ें मिट्टी को बांधती हैं।
- जल चक्र संतुलन – वनों से भूजल स्तर बना रहता है।
- वायु शुद्धिकरण – कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण और ऑक्सीजन का उत्सर्जन।
5. आर्थिक महत्व और आजीविका का आधार
वनों से प्राप्त संसाधनों में शामिल हैं:
- काष्ठ और बांस – भवन निर्माण, फर्नीचर उद्योग।
- गैर-काष्ठीय उत्पाद – गोंद, औषधीय पौधे, मधु, फल।
- रोजगार का स्रोत – वनों पर आधारित उद्योगों में लाखों को काम।
- आदिवासी जीवन का आधार – जीवन, संस्कृति, भोजन, और चिकित्सा में वन महत्वपूर्ण हैं।
6. आदिवासी संस्कृति में वनों की भूमिका
मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा जैसे राज्यों के आदिवासी समाज वनों पर आश्रित हैं। उनके पर्व, रीति-रिवाज, शिल्पकला, आयुर्वेद सभी वनों से जुड़े हैं। पवित्र वन (Sacred Groves) आदिवासी समाज में विशेष संरक्षण पाते हैं।
7. पर्यावरणीय चुनौतियाँ
भारतीय वन कई खतरों का सामना कर रहे हैं:
- वनों की कटाई – नगरीकरण, खनन, कृषि विस्तार के कारण।
- अवैध कटाई और शिकार – जैव विविधता को खतरा।
- जलवायु परिवर्तन – वन संरचना में बदलाव और आगजनी।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष – आवास संकुचन के कारण।
8. वन संरक्षण के प्रयास
भारत सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए हैं:
- राष्ट्रीय वन नीति (1988) – 33% भू-भाग पर वन क्षेत्र का लक्ष्य।
- संयुक्त वन प्रबंधन (JFM) – स्थानीय लोगों की सहभागिता।
- हरित भारत मिशन – वनीकरण और पुनर्वनीकरण।
- वन्य जीव संरक्षण अधिनियम – जैव विविधता की रक्षा।
9. सतत विकास में वनों की भूमिका
भारत सतत वन प्रबंधन पर बल देता है ताकि विकास और संरक्षण के बीच संतुलन बना रहे। इको-टूरिज्म, वन प्रमाणन, और वैज्ञानिक पद्धतियाँ अपनाई जा रही हैं। वन संसाधनों को अब सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के तहत भी जोड़ा गया है।
10. जलवायु परिवर्तन शमन में भूमिका
वन कार्बन का भंडारण कर भारत के जलवायु लक्ष्यों में सहायक हैं। REDD+ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से वन क्षेत्र और कार्बन स्टॉक को बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत के वन संसाधन देश की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और आजीविका से जुड़े हैं। विकास के दबाव के बावजूद, संरक्षण की नीति, स्थानीय सहभागिता, और वैज्ञानिक प्रबंधन द्वारा भारत अपने वन संसाधनों को सहेजने की दिशा में प्रयासरत है। हमें इन संसाधनों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना होगा।
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