भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले कौन से कारक हैं? Bhartiya monsoon ko prabhavit karne wale kaun se kaarak hain

Bhartiya monsoon ko prabhavit karne wale kaun se kaarak hain

प्रश्न: भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले कौन से कारक हैं?

परिचय

भारतीय मानसून एक जटिल मौसमी प्रक्रिया है, जो भारत में वर्षा लाती है और जून से सितंबर के बीच सबसे सक्रिय रहती है। यह न केवल कृषि, बल्कि जल संसाधन, ऊर्जा उत्पादन और सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानसून को प्रभावित करने वाले विभिन्न भौगोलिक, समुद्रीय, वायुमंडलीय और वैश्विक कारकों को जानना आवश्यक है ताकि मौसम की सटीक भविष्यवाणी की जा सके।


1. स्थल और जल की विषम गर्मी

गर्मियों में भूमि समुद्र की तुलना में जल्दी गरम होती है। इससे भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में निम्न दाब बनता है और समुद्र पर उच्च दाब। यह दाब का अंतर समुद्र से भूमि की ओर नम हवाओं को खींचता है, जिससे वर्षा होती है।


2. अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ)

ITCZ वह क्षेत्र है जहाँ पूर्वी और पश्चिमी व्यापारिक हवाएँ मिलती हैं। यह क्षेत्र गर्मियों में उत्तर की ओर भारत में खिसकता है, जिससे मानसून की धारा सक्रिय होती है और भारी वर्षा होती है।


3. एल नीनो और ला नीना घटनाएँ

एल नीनो के दौरान प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भाग में गर्मी बढ़ जाती है, जिससे भारत में मानसून कमजोर हो सकता है। इसके विपरीत, ला नीना के समय मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय हो जाता है और अच्छी वर्षा होती है।


4. हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD)

IOD हिंद महासागर के पश्चिम और पूर्वी भाग के तापमान में अंतर को दर्शाता है। यदि पश्चिमी भाग गर्म होता है (सकारात्मक IOD), तो भारत में मानसून मजबूत होता है। यदि पूर्वी भाग गर्म होता है (नकारात्मक IOD), तो वर्षा कम हो सकती है।


5. तिब्बत पठार का तापमान

तिब्बत पठार गर्मियों में अत्यधिक गरम होकर ऊँचाई पर एक गर्म क्षेत्र बनाता है, जिससे वायुमंडलीय दबाव कम होता है और मानसूनी हवाएँ अधिक बलशाली होती हैं।


6. जेट स्ट्रीम्स

जेट स्ट्रीम्स (विशेष रूप से ट्रॉपिकल ईस्टरली जेट और सबट्रॉपिकल वेस्टरली जेट) उच्च वायुमंडल में तेज हवाएँ होती हैं। इनकी स्थिति और गति मानसून के आगमन और वापसी को प्रभावित करती हैं।


7. हिमालय की बर्फबारी

सर्दियों में हिमालय में बर्फ की मात्रा जितनी अधिक होगी, गर्मियों में भूमि का तापमान उतना ही कम होगा। इससे निम्न दाब बनने में कमी आती है और मानसून कमजोर हो सकता है। हल्की बर्फ या बर्फ रहित स्थिति मानसून को बल देती है।


8. स्थल सतह की दशाएँ और वनों की कटाई

भूमि की नमी और वनस्पति मानसून को प्रभावित करती है। वन कटाई, शहरीकरण और भूमि उपयोग में परिवर्तन वर्षा के स्वरूप को बदल सकते हैं। अधिक वनस्पति से वाष्पीकरण बढ़ता है और बादल बनने में सहायता मिलती है।


9. समुद्र और पड़ोसी क्षेत्रों की वायुदाब स्थितियाँ

अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में बनने वाले उच्च या निम्न दाब क्षेत्र मानसूनी हवाओं की दिशा और गति को प्रभावित करते हैं। सोमालिया जेट जैसी निम्न स्तर की हवाएँ भी नमी लाने में सहायक होती हैं।


10. चक्रवाती गतिविधियाँ

मानसून के दौरान बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनने वाले निम्न दाब, डिप्रेशन और चक्रवात देश के आंतरिक भागों में वर्षा को फैलाते हैं।


निष्कर्ष

भारतीय मानसून कई प्राकृतिक और वैश्विक कारकों से प्रभावित होता है। इन कारकों की समझ मौसम की भविष्यवाणी, जल प्रबंधन और कृषि नीति निर्धारण में मदद करती है। जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप के कारण अब मानसून के स्वरूप में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिक निगरानी, पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास की दिशा में प्रयास आवश्यक हो गए हैं।


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