भारत की विदेश नीति उसकी वैश्विक शक्ति बनने की महत्त्वाकांक्षाओं में कैसे योगदान देती है? Bharat ki videsh neeti uski vaishvik shakti banne ki mahatvaakankshaon mein kaise yogdaan deti hai

Bharat ki videsh neeti uski vaishvik shakti banne ki mahatvaakankshaon mein kaise yogdaan deti hai


भारत की विदेश नीति उसकी वैश्विक शक्ति बनने की महत्त्वाकांक्षाओं में कैसे योगदान देती है

परिचय

भारत, जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, 21वीं सदी में एक वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है। इस उद्देश्य की प्राप्ति में भारत की विदेश नीति एक केंद्रीय भूमिका निभाती है। भारत की कूटनीति रणनीतिक स्वतंत्रता, आर्थिक साझेदारी, सांस्कृतिक प्रभाव, रक्षा सहयोग और वैश्विक मंचों पर सक्रिय भागीदारी के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है।


1. रणनीतिक स्वायत्तता और बहुध्रुवीयता

भारत की विदेश नीति का आधार रणनीतिक स्वायत्तता है:

  • भारत किसी सैन्य गुट का सदस्य नहीं है और सभी बड़ी शक्तियों (जैसे अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ) से स्वतंत्र रूप से संबंध रखता है।

  • यह बहुध्रुवीय विश्व का समर्थन करता है जिसमें सभी देशों को समान अवसर मिलें।

इस नीति से भारत की साख एक स्वतंत्र और विश्वसनीय शक्ति के रूप में बढ़ती है।


2. वैश्विक मंचों में नेतृत्व

भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाता है:

  • संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए प्रयासरत है और शांति मिशनों में बड़ा योगदान देता है।

  • G20 और BRICS में विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।

  • WTO और WHO जैसे मंचों पर भारत समावेशी विकास और स्वास्थ्य न्याय की वकालत करता है।

इन मंचों के माध्यम से भारत वैश्विक नीतियों को प्रभावित करता है।


3. आर्थिक कूटनीति

भारत व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग के माध्यम से विश्व स्तर पर अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा रहा है:

  • मुक्त व्यापार समझौते: जापान, कोरिया, ASEAN देशों के साथ।

  • निवेश गलियारे: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा।

  • स्टार्टअप और डिजिटल इंडिया: विश्व स्तर पर भारतीय तकनीकी उत्पादों का प्रचार।

आर्थिक कूटनीति भारत को एक भविष्य की आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करती है।


4. रक्षा और रणनीतिक साझेदारी

भारत अपनी रक्षा क्षमता और वैश्विक रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत कर रहा है:

  • रणनीतिक संवाद: अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल के साथ।

  • सैन्य अभ्यास: मालाबार, वरुणा आदि।

  • रक्षा निर्यात: अफ्रीका और दक्षिण एशिया को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति।

यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक सुरक्षा में भागीदारी निभाने के लिए तैयार है।


5. सांस्कृतिक और सॉफ्ट पावर कूटनीति

भारत अपनी सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से विश्व में सौम्य प्रभाव डालता है:

  • योग, आयुर्वेद और भारतीय खानपान: विभिन्न देशों में लोकप्रियता।

  • प्रवासी भारतीयों का योगदान: 30 करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय भारत के हितों का प्रचार करते हैं।

  • बॉलीवुड और साहित्य: विश्व भर में भारत की सांस्कृतिक उपस्थिति मजबूत करते हैं।

सॉफ्ट पावर भारत की छवि को सकारात्मक बनाता है।


6. जलवायु नेतृत्व

भारत जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व करता है:

  • अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन: नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए।

  • जलवायु न्याय: विकासशील देशों के अधिकारों की रक्षा।

  • 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा लक्ष्य: सतत विकास की दिशा में प्रतिबद्धता।

इस क्षेत्र में भारत का योगदान उसे एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति बनाता है।


7. आतंकवाद-निरोध और समुद्री सुरक्षा

भारत वैश्विक शांति और सुरक्षा में सहयोग कर रहा है:

  • आतंकवाद पर वैश्विक संवाद: अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों के साथ।

  • भारतीय नौसेना की भूमिका: हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना।

  • आपदा राहत और बचाव कार्य: अन्य देशों की मदद।

यह भारत को एक भरोसेमंद सुरक्षा भागीदार बनाता है।


8. विज्ञान और अंतरिक्ष कूटनीति

भारत वैज्ञानिक प्रगति को कूटनीति से जोड़ रहा है:

  • ISRO सहयोग: अमेरिका, फ्रांस और अन्य देशों के साथ।

  • डिजिटल बुनियादी ढांचा: अन्य देशों को तकनीकी मॉडल देना।

  • वैक्सीन और जेनेरिक दवाइयों का निर्यात: वैश्विक स्वास्थ्य में योगदान।

तकनीकी क्षमताएँ भारत को भविष्य की महाशक्ति बनाती हैं।


9. वैश्विक दक्षिण की आवाज

भारत विकासशील देशों की आवाज बनने का प्रयास करता है:

  • G77 और NAM में नेतृत्व।

  • ऋण राहत और विकास सहायता: अफ्रीका और एशिया के देशों को।

  • मानवीय सहायता: आपदा, युद्ध, महामारी आदि में।

भारत का यह नैतिक नेतृत्व उसकी वैश्विक साख बढ़ाता है।


निष्कर्ष

भारत की विदेश नीति उसकी वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा को मजबूत आधार देती है। यह नीति रणनीतिक संतुलन, सहयोग, सांस्कृतिक प्रभाव और आर्थिक विकास के माध्यम से भारत को विश्व मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत करती है। भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार, प्रभावशाली और विकासोन्मुख वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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