भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डालिए। Bharatiya Sanskriti par Prakash Daliye

Bharatiya Sanskriti par Prakash Daliye

प्रश्न -भारतीय संस्कृति पर प्रकाश डालिए।

(प्रश्न पत्र: भारतीय जीवन परंपरा – BA तृतीय वर्ष)


✦ भूमिका:

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक मानी जाती है, जिसकी जड़ें हज़ारों वर्षों पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई हैं। यह संस्कृति न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध है, बल्कि वैज्ञानिक, साहित्यिक, सामाजिक और कलात्मक दृष्टिकोण से भी अत्यंत समृद्ध है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी विविधता में एकता है। भारत एक बहु-धार्मिक, बहुभाषी और बहु-जातीय देश होते हुए भी एक साझा सांस्कृतिक चेतना से जुड़ा हुआ है।


✦ भारतीय संस्कृति का अर्थ और परिभाषा:

‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत के ‘संस्कृ’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है – परिष्कृत करना, सजाना या संस्कार देना। इस प्रकार संस्कृति का तात्पर्य मानव जीवन को उन्नत, शिष्ट, और संस्कारित बनाने वाली समस्त भौतिक और आध्यात्मिक उपलब्धियों से है।

भारतीय संस्कृति का आशय उन समस्त जीवन-मूल्यों, परंपराओं, रीति-नीतियों, कला, साहित्य, दर्शन, धर्म और जीवन-शैली से है जो भारत में प्राचीन काल से ही लोगों के जीवन में गहराई से समाहित हैं।


✦ भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ:

1. प्राचीनता और निरंतरता

भारतीय संस्कृति विश्व की उन गिनी-चुनी संस्कृतियों में से है जो हजारों वर्षों से आज तक बिना टूटे चली आ रही हैं। वैदिक काल से लेकर आज के डिजिटल युग तक इसने अपने मूल्यों और सिद्धांतों को सहेज कर रखा है।

2. विविधता में एकता (Unity in Diversity)

भारत में अनेक धर्म, भाषाएँ, जातियाँ, पर्व-त्योहार और वेशभूषाएँ हैं, फिर भी लोगों में एक सांस्कृतिक बंधन है जो सबको जोड़ता है।

3. आध्यात्मिकता और धार्मिकता

भारतीय संस्कृति में धर्म का स्थान सर्वोपरि है। यहाँ जीवन का अंतिम लक्ष्य ‘मोक्ष’ या आत्मा की मुक्ति को माना गया है। वेद, उपनिषद, पुराण, भगवद गीता, जैन आगम, बौद्ध त्रिपिटक, गुरुग्रंथ साहिब आदि ग्रंथों में गहन दार्शनिक ज्ञान समाहित है।

4. गुरु-शिष्य परंपरा

प्राचीन भारत में शिक्षा ‘गुरुकुल’ प्रणाली में दी जाती थी, जहाँ विद्यार्थी अपने गुरु के आश्रम में रहकर जीवन के सभी पहलुओं की शिक्षा प्राप्त करता था। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के समान माना जाता था।

5. संयुक्त परिवार प्रणाली

भारतीय समाज में संयुक्त परिवार एक परंपरा रही है, जहाँ तीन-चार पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं। यह व्यवस्था पारिवारिक एकता, संस्कार और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है।

6. सहिष्णुता और समावेशिता

भारतीय संस्कृति की यह विशेषता रही है कि उसने सभी विचारों, आस्थाओं और धर्मों को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया है। यही कारण है कि यहाँ बौद्ध, जैन, सिख, मुस्लिम, ईसाई धर्मों को भी फलने-फूलने का अवसर मिला।


✦ भारतीय संस्कृति के प्रमुख अंग:

1. धर्म और दर्शन

सनातन धर्म, योग, ध्यान, कर्म-सिद्धांत, पुनर्जन्म, वेदांत, सांख्य, मीमांसा, बौद्ध और जैन दर्शन आदि भारतीय संस्कृति के आधार स्तंभ हैं।

2. भाषा और साहित्य

संस्कृत, हिंदी, तमिल, तेलुगु, बंगाली, मराठी जैसी भारतीय भाषाओं में समृद्ध साहित्य रचा गया है। कालिदास, तुलसीदास, कबीर, रवींद्रनाथ टैगोर आदि महान साहित्यकारों ने भारत की सांस्कृतिक चेतना को विस्तार दिया।

3. कला और संगीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत (हिंदुस्तानी और कर्नाटकी), नृत्य (भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी आदि), चित्रकला (मधुबनी, अजंता), मूर्तिकला, और वास्तुकला (कुतुब मीनार, ताजमहल, मंदिर स्थापत्य) भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं।

4. भोजन और वेशभूषा

भारतीय भोजन विविधताओं से भरपूर है—दक्षिण में इडली-डोसा, उत्तर में पराठा-राजमा, पश्चिम में ढोकला-थेपला, और पूर्व में माछ-भात। वस्त्रों में साड़ी, धोती, कुर्ता-पायजामा, लहंगा-चोली भारतीयता का परिचायक हैं।

5. पर्व और उत्सव

भारतीय संस्कृति में उत्सवों का विशेष स्थान है। दीपावली, होली, दशहरा, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व, बैसाखी आदि न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी हैं।


✦ भारतीय सांस्कृतिक धरोहर:

1. वास्तुकला और स्थापत्य

अजंता-एलोरा, काजुराहो, कोणार्क सूर्य मंदिर, मेहरौली का कुतुब मीनार, ताजमहल, हंपी, फतेहपुर सीकरी आदि स्थापत्य कला की महान उदाहरण हैं।

2. पुरातात्विक धरोहर

– मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, लोथल, कालीबंगा आदि स्थान भारतीय प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को प्रदर्शित करते हैं।


✦ भारतीय संस्कृति की चुनौतियाँ:

  1. पश्चिमीकरण का प्रभाव – युवा वर्ग में विदेशी संस्कृति की ओर आकर्षण।
  2. भाषाई संकट – मातृभाषाओं की उपेक्षा और अंग्रेजी का वर्चस्व।
  3. सांस्कृतिक मूल्यों का क्षरण – आधुनिकता की आड़ में पारिवारिक और नैतिक मूल्यों का ह्रास।

✦ समाधान एवं संरक्षण के उपाय:

  • भारतीय भाषाओं का संरक्षण और प्रचार।
  • विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भारतीय दर्शन, कला, और संस्कृति की पढ़ाई को अनिवार्य बनाना।
  • त्योहारों, लोककलाओं और पारंपरिक रीति-रिवाजों को बढ़ावा देना।
  • डिजिटल माध्यम से संस्कृति का प्रचार जैसे – डिजिटल संग्रहालय, संस्कृति ऐप्स, शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री आदि।

✦ निष्कर्ष:

भारतीय संस्कृति न केवल भारत की पहचान है, बल्कि यह संपूर्ण विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः, और एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति जैसे सार्वभौमिक सिद्धांतों से जोड़ती है। यह संस्कृति प्रेम, करुणा, सहिष्णुता और आत्मानुशासन पर आधारित है।

आज आवश्यकता है कि हम इस गौरवपूर्ण सांस्कृतिक विरासत को समझें, अपनाएं और अगली पीढ़ी को इसका ज्ञान दें ताकि यह अनमोल धरोहर चिरंजीवी बनी रहे।


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