गोवा को भारत में कब और कैसे मिलाया गया? Goa ko Bharat mein kab aur kaise milaya gaya

गोवा को भारत में कब और कैसे मिलाया गया?
(B.A. तृतीय वर्ष – राज्य राजनीति, विषय कोड: A3-POSC 2T)
उत्तर शब्द सीमा: लगभग 1000 शब्द


प्रस्तावना:

गोवा, भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसे लंबे समय तक पुर्तगाल ने अपने उपनिवेश के रूप में शासित किया। जब भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ, उस समय भी गोवा पुर्तगाली नियंत्रण में था। भारत सरकार द्वारा शांति से इस क्षेत्र को भारत में मिलाने के कई प्रयास किए गए, लेकिन जब सभी प्रयास विफल हो गए, तब सैन्य हस्तक्षेप के द्वारा गोवा को भारत में शामिल किया गया। यह घटना भारतीय संघ के एक महत्वपूर्ण विस्तार को दर्शाती है और राज्य राजनीति में इसकी ऐतिहासिक भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है।


गोवा पर पुर्तगाली शासन की पृष्ठभूमि:

गोवा पर पुर्तगाली शासन की शुरुआत 1510 ई. में हुई थी, जब पुर्तगालियों ने वहां के स्थानीय शासक को हराकर क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। इसके बाद लगभग 450 वर्षों तक गोवा पुर्तगाल का उपनिवेश बना रहा। पुर्तगाल ने गोवा को केवल एक उपनिवेश के रूप में नहीं, बल्कि ‘पुर्तगाल का अभिन्न अंग’ मानते हुए वहाँ प्रशासनिक, सांस्कृतिक और धार्मिक बदलाव लाए।


भारत की स्वतंत्रता के बाद गोवा की स्थिति:

1947 में भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद भी गोवा पुर्तगाली शासन के अधीन रहा। भारत सरकार ने पुर्तगाल से बार-बार गोवा को भारतीय संघ में मिलाने की अपील की, लेकिन पुर्तगाल ने इन मांगों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि गोवा उसका ‘प्रांत’ है, उपनिवेश नहीं। इस प्रकार गोवा का भारत में विलय एक चुनौतीपूर्ण कूटनीतिक और सामरिक मुद्दा बन गया।


गोवा मुक्ति आंदोलन:

गोवा की जनता भी स्वतंत्रता चाहती थी और धीरे-धीरे वहां स्वतंत्रता आंदोलन ने जन्म लिया। इसमें विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठनों और युवाओं ने भाग लिया। सत्याग्रह, विरोध प्रदर्शन, भूमिगत आंदोलनों तथा सशस्त्र संघर्षों के माध्यम से गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों ने पुर्तगाली शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाई।

कुछ प्रमुख आंदोलन:

  • आजाद गोमांतक दल और गोवा मुक्ति समिति जैसे संगठनों ने गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • भारत के विभिन्न भागों से आए सत्याग्रहियों ने गोवा में घुसकर पुर्तगालियों के विरुद्ध प्रदर्शन किए।
  • गोवा में बढ़ते जन आंदोलन से पुर्तगाली सरकार चिंतित हो उठी, लेकिन उन्होंने दमनकारी नीतियाँ अपनाते हुए आंदोलनों को कुचलने का प्रयास किया।

भारत सरकार की भूमिका:

1950 और 1960 के दशक में भारत सरकार ने गोवा को शांतिपूर्ण तरीके से भारत में मिलाने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रारंभ में अहिंसात्मक और शांतिपूर्ण उपायों को प्राथमिकता दी। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भी पुर्तगाल की उपनिवेशवादी नीति की निंदा की और विश्व समुदाय का ध्यान इस ओर आकर्षित किया।

लेकिन पुर्तगाल की अड़ियल नीति और भारत की अंतरराष्ट्रीय मंच पर बार-बार की असफल अपीलों के बाद यह स्पष्ट हो गया कि केवल सैन्य कार्रवाई से ही गोवा को मुक्त कराया जा सकता है।


गोवा मुक्ति अभियान – ‘ऑपरेशन विजय’ (Operation Vijay):

दिसंबर 1961 में भारत सरकार ने “ऑपरेशन विजय” नामक एक सैन्य अभियान चलाया। 17 दिसंबर 1961 को भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने गोवा, दमन और दीव की सीमाओं में प्रवेश किया।

  • इस सैन्य अभियान में 36 घंटे से भी कम समय लगा और 19 दिसंबर 1961 को गोवा को पुर्तगाली शासन से मुक्त कर दिया गया।
  • पुर्तगाली गवर्नर जनरल मैनुअल एंटोनियो वासलो डा सिल्वा ने आत्मसमर्पण कर दिया।
  • यह एक निर्णायक और तेज़ सैन्य कार्रवाई थी जिसमें कम से कम जनहानि हुई।

गोवा का भारत में औपचारिक विलय:

गोवा को 19 दिसंबर 1961 को भारत में मिलाने के बाद एक केंद्रशासित क्षेत्र के रूप में प्रशासनिक ढांचे में लाया गया। गोवा के साथ दमन और दीव भी इसी दिन भारत का हिस्सा बने।

  • 30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
  • जबकि दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में रखा गया।

इस प्रकार गोवा भारत का 25वां राज्य बना और यह भारतीय संघ का अभिन्न अंग बन गया।


गोवा के भारत में विलय के परिणाम:

  1. राष्ट्रीय एकता की मजबूती: गोवा का भारत में शामिल होना भारतीय संघ की एकता और अखंडता को सशक्त करने वाला कदम था।
  2. राजनीतिक स्थायित्व: गोवा में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की स्थापना हुई, जिससे वहां की जनता को प्रतिनिधित्व का अवसर मिला।
  3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: यद्यपि कुछ पश्चिमी देशों ने इस सैन्य हस्तक्षेप की आलोचना की, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने भी भारत के इस कदम को स्वीकार कर लिया।
  4. सांस्कृतिक समावेश: गोवा की अनूठी संस्कृति को भारतीय बहुसांस्कृतिक समाज में उचित स्थान मिला।

निष्कर्ष:

गोवा का भारत में विलय भारतीय राजनीति और इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। यह केवल एक भौगोलिक विस्तार नहीं था, बल्कि भारतीय गणराज्य की राष्ट्रीय भावना, लोकतांत्रिक मूल्यों और उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक भी था। गोवा का शांतिपूर्ण और निर्णायक रूप से भारत में शामिल होना यह दिखाता है कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए दृढ़संकल्पित है। इस घटना ने न केवल राज्य राजनीति को दिशा दी, बल्कि स्वतंत्र भारत की विदेश नीति और आंतरिक नीति को भी नई दिशा प्रदान की।


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