भारत के राजनीतिक एकीकरण से आप क्या समझते हैं? Bharat ke Rajneetik Ekiakaran se aap kya samajhte hain

Bharat ke Rajneetik Ekiakaran se aap kya samajhte hain

प्रश्न 1: भारत के राजनीतिक एकीकरण से आप क्या समझते हैं?
(B.A. Final Year – इतिहास: समकालीन भारत 1947–2004 | प्रश्नपत्र द्वितीय | विषय कोड: A3-HIST 2D)
उत्तर शब्द सीमा: 1000+ शब्द


भूमिका:

भारत का राजनीतिक एकीकरण स्वतंत्र भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसके अंतर्गत 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश की सैकड़ों रियासतों और क्षेत्रों को एकीकृत कर एक राष्ट्र के रूप में संगठित किया गया। इस प्रक्रिया में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। यह एक जटिल कार्य था, जिसमें कूटनीति, दृढ़ इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता की आवश्यकता थी।


ब्रिटिश भारत की स्थिति और रियासतों की भूमिका:

1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय दो प्रकार की व्यवस्थाएँ थीं:

  1. ब्रिटिश शासित प्रांत (British Provinces) – जो सीधे ब्रिटिश सरकार द्वारा शासित थे।
  2. देशी रियासतें (Princely States) – जिनकी संख्या 565 से अधिक थी और जो ब्रिटिश सम्राट को अधीनता स्वीकार करते थे, लेकिन आंतरिक प्रशासन में स्वतंत्र थीं।

स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (Indian Independence Act 1947) के अनुसार, इन रियासतों को यह अधिकार दिया गया कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकती हैं, या स्वतंत्र रह सकती हैं।


राजनीतिक एकीकरण की आवश्यकता:

भारत के समक्ष कई चुनौतियाँ थीं:

  • विभिन्न रियासतों की अलग-अलग स्थिति और मनोवृत्ति।
  • कुछ रियासतों का स्वतंत्र राष्ट्र बनने का प्रयास।
  • भारत की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता को खतरा।
  • प्रशासनिक एकता, आर्थिक विकास और एकसमान कानून व्यवस्था की आवश्यकता।

इन सबको ध्यान में रखते हुए, राजनीतिक एकीकरण अपरिहार्य था।


एकीकरण की प्रक्रिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमिका:

सरदार पटेल, जो तत्कालीन गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री थे, ने इस कार्य को वी.पी. मेनन (संविधानिक सलाहकार) के साथ मिलकर संभाला। उन्होंने तीन मुख्य कदम अपनाए:

  1. राजाओं से व्यक्तिगत बातचीत और विश्वास निर्माण।
  2. राज्य के भारत में विलय के लिए ‘Instrument of Accession’ पर हस्ताक्षर कराना।
  3. प्रशासनिक पुनर्गठन और भारत सरकार में सम्मिलन।

प्रमुख रियासतों का एकीकरण:

1. हैदराबाद (Nizam of Hyderabad):

  • निज़ाम ने स्वतंत्र रहने की कोशिश की।
  • वहाँ एक कट्टरपंथी संगठन ‘रज़ाकार’ हिंसा फैला रहा था।
  • भारत सरकार ने 1948 में “ऑपरेशन पोलो” नामक सैन्य कार्रवाई कर हैदराबाद को एकीकृत किया।

2. जूनागढ़:

  • मुस्लिम नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा की, जबकि बहुसंख्यक हिंदू जनता भारत में शामिल होना चाहती थी।
  • भारत ने वहाँ जनमत संग्रह कराया, जिसमें जनता ने भारत के पक्ष में वोट दिया।

3. जम्मू और कश्मीर:

  • महाराजा हरिसिंह शुरू में स्वतंत्र रहना चाहते थे।
  • पाकिस्तानी कबायली आक्रमण के बाद उन्होंने भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार किया।
  • भारत ने सशर्त विलय स्वीकार किया और वहां अनुच्छेद 370 लागू किया गया।

4. सिक्किम:

  • यह एक संरक्षित राज्य था।
  • 1975 में जनमत संग्रह के माध्यम से भारत का पूर्ण राज्य बना।

एकीकरण के प्रमुख साधन:

  1. कूटनीति और समझौता (Diplomacy and Negotiation):
    • अधिकांश रियासतों को शांतिपूर्ण तरीके से भारत में मिलाया गया।
  2. जनमत संग्रह (Referendum):
    • जूनागढ़ और सिक्किम जैसे राज्यों में जनमत संग्रह के माध्यम से निर्णय लिया गया।
  3. सैन्य बल का प्रयोग:
    • हैदराबाद जैसे मामलों में आवश्यकतानुसार सैन्य कार्रवाई की गई।

राजनीतिक एकीकरण के परिणाम:

  • राष्ट्रीय एकता और अखंडता सुनिश्चित हुई।
  • प्रशासनिक और राजनीतिक स्थिरता प्राप्त हुई।
  • भारत का संवैधानिक ढांचा लागू किया जा सका।
  • एक राष्ट्र, एक संविधान, एक शासन प्रणाली को बल मिला।
  • विविधता में एकता की भावना को सुदृढ़ किया गया।

राज्यों का पुनर्गठन (States Reorganization):

1956 में राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन हुआ, जिससे एकीकरण की प्रक्रिया और सशक्त हुई।


निष्कर्ष:

भारत का राजनीतिक एकीकरण स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अध्याय है। यह न केवल राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि कूटनीति, साहस और दूरदर्शिता से असंभव कार्य भी संभव किए जा सकते हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल को इस कार्य के लिए ‘लौह पुरुष’ कहा गया और उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता माना गया। यदि यह एकीकरण न हुआ होता, तो आज भारत अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित होता और राष्ट्र के रूप में हमारी पहचान संभव नहीं होती।


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