Bharat mein Aatankvaad ko Samjhaiye
प्रश्न – भारत में आतंकवाद को समझाइए।
(Explain Terrorism in India)
विषय: समकालीन भारत का इतिहास (1947–2004)
B.A. तृतीय वर्ष – पेपर द्वितीय | विषय कोड: A3-HIST 2D
परिचय:
आतंकवाद एक जटिल और बहुआयामी समस्या है, जो केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक कारकों का मिश्रण है। भारत, विविधता से भरा एक लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के कारण, स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न रूपों में आतंकवाद का सामना करता आ रहा है।
भारत में आतंकवाद के प्रकार:
- धार्मिक आतंकवाद:
- भारत में धार्मिक आधार पर आतंकवाद विशेषकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों में देखने को मिला है।
- प्रमुख उदाहरण: जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद (पाकिस्तान समर्थित), पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन।
- क्षेत्रीय/स्वतंत्रता आंदोलन आधारित आतंकवाद:
- उत्तर-पूर्व भारत के कई राज्यों में अलगाववादी गुटों द्वारा हिंसात्मक आंदोलन किए गए, जैसे असम में उल्फा (ULFA), मणिपुर में एनएससीएन (NSCN)।
- वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद):
- यह मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में फैला हुआ है।
- इनका उद्देश्य है – राज्य सत्ता को हथियारबंद क्रांति के जरिए समाप्त करना।
- सीमा पार आतंकवाद:
- पाकिस्तान से संचालित आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद आदि द्वारा भारत पर हमले किए जाते हैं।
- उदाहरण: 2001 संसद पर हमला, 2008 मुंबई हमला।
भारत में आतंकवाद के प्रमुख घटनाक्रम:
वर्ष | घटना |
---|---|
1984 | ऑपरेशन ब्लू स्टार और इसके बाद इंदिरा गांधी की हत्या व सिख विरोधी दंगे |
1993 | मुंबई सिलसिलेवार बम धमाके |
2001 | भारतीय संसद पर हमला |
2008 | मुंबई पर 26/11 आतंकी हमला |
अन्य | उत्तर-पूर्व भारत में समय-समय पर बम धमाके, माओवादी हमले |
आतंकवाद के कारण:
- राजनीतिक कारण:
- अलगाववादी विचारधाराएं, केंद्र और राज्यों के बीच विश्वास की कमी, विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप।
- धार्मिक और जातीय मतभेद:
- सांप्रदायिक तनाव और असहिष्णुता भी आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
- आर्थिक असमानता और गरीबी:
- बेरोजगारी और विकास की कमी से युवा कट्टर विचारधारा की ओर आकर्षित होते हैं।
- सीमाओं की सुरक्षा में कमी:
- विशेषकर भारत-पाकिस्तान और भारत-नेपाल सीमाओं से आतंकवादियों का प्रवेश।
भारत सरकार की आतंकवाद विरोधी नीतियाँ:
- कानूनी उपाय:
- UAPA (Unlawful Activities Prevention Act), TADA, POTA जैसे कानून बनाकर आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई की गई।
- राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ:
- एनआईए (NIA), रॉ (RAW), आईबी (IB), एनएसजी (NSG) जैसे संगठनों की भूमिका अहम रही।
- सुरक्षा बलों की सक्रियता:
- सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ, राज्य पुलिस बल आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाते हैं।
- राजनयिक प्रयास:
- भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया, पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित करने की कोशिशें कीं।
आतंकवाद के दुष्परिणाम:
- मानव जीवन की क्षति:
- हजारों निर्दोष नागरिक, सुरक्षाकर्मी और बच्चे आतंकी हमलों में मारे गए हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा:
- आतंकी घटनाएं देश की एकता और अखंडता के लिए बड़ा खतरा हैं।
- आर्थिक नुकसान:
- पर्यटन, व्यापार और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सामाजिक ताना-बाना प्रभावित:
- समुदायों के बीच अविश्वास और हिंसा की भावना बढ़ती है।
निष्कर्ष:
भारत में आतंकवाद एक गंभीर चुनौती है, जिसे केवल सैन्य उपायों से समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है – जिसमें शिक्षा, रोजगार, सामाजिक न्याय, सीमा सुरक्षा और कूटनीति सब शामिल हों। साथ ही, नागरिकों को भी सतर्क और सजग रहकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई तभी सफल हो सकती है जब इसमें पूरा समाज भागीदार बने।
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