असम पश्चिम बंगाल से आप क्या समझते हैं? Assam aur Paschim Bengal se aap kya samajhte hain

Assam aur Paschim Bengal se aap kya samajhte hain

प्रश्न – असम-पश्चिम बंगाल से आप क्या समझते हैं?

(Subject: समकालीन भारत का इतिहास 1947–2004 | BA Final Year – Paper II | Subject Code: A3-HIST 2D)

परिचय:

असम और पश्चिम बंगाल भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित दो प्रमुख राज्य हैं, जिनका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व रहा है। इन राज्यों ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर समकालीन भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों तक विभिन्न स्तरों पर प्रभाव डाला है। असम और पश्चिम बंगाल दोनों ही सीमावर्ती राज्य हैं, जो बांग्लादेश से लगते हैं, इसलिए विभाजन, प्रवासन, भाषाई आंदोलन, पहचान की राजनीति, और सीमा विवाद जैसे मुद्दे इन राज्यों के विकास और संघर्ष का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।


1. असम की ऐतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि:

असम भारत का एक पूर्वोत्तर राज्य है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जैवविविधता और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। स्वतंत्रता के बाद असम ने कई राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का अनुभव किया है, जिनमें मुख्य हैं:

(क) असम आंदोलन (1979–1985):

  • यह आंदोलन विदेशी नागरिकों विशेषतः बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ था।
  • स्थानीय लोगों को आशंका थी कि अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ने से उनकी संस्कृति, रोजगार और राजनीतिक पहचान को खतरा है।
  • इस आंदोलन का नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ (AASU) और असम गण परिषद (AGP) ने किया।
  • आंदोलन के फलस्वरूप 1985 में ‘असम समझौता’ हुआ, जिसमें 1971 के बाद आए प्रवासियों को अवैध घोषित किया गया।

(ख) बोडो आंदोलन:

  • बोडो जनजातियों ने अलग बोडोलैंड राज्य की माँग की।
  • इससे असम के भीतर असंतोष, हिंसा और प्रशासनिक चुनौतियाँ उत्पन्न हुईं।

(ग) राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC):

  • असम में NRC लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई ताकि वैध नागरिकों की पहचान की जा सके।
  • यह प्रक्रिया 2019 में पूर्ण हुई लेकिन इससे जुड़े विवाद और चिंताएँ बनी रहीं।

2. पश्चिम बंगाल की ऐतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि:

पश्चिम बंगाल भारत का एक सांस्कृतिक और बौद्धिक दृष्टि से समृद्ध राज्य है। यह राज्य 1947 के भारत-विभाजन के दौरान अत्यधिक प्रभावित हुआ था।

(क) भारत-विभाजन और शरणार्थी संकट:

  • विभाजन के बाद लाखों शरणार्थी पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से पश्चिम बंगाल में आए।
  • इसने राज्य की जनसंख्या, संसाधनों और सामाजिक ढाँचे पर भारी दबाव डाला।

(ख) नक्सलवादी आंदोलन (1967):

  • यह आंदोलन ज़मींदारी प्रथा, भूमिहीनता और सामाजिक असमानता के विरुद्ध था।
  • इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई थी।
  • यह आंदोलन हिंसक हो गया और सरकार ने बल प्रयोग कर इसे दबाया।

(ग) वामपंथी शासन (1977–2011):

  • 34 वर्षों तक पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे (लेफ्ट फ्रंट) की सरकार रही।
  • इस काल में भूमि सुधारों और पंचायत व्यवस्था में काफी सुधार हुआ।
  • लेकिन बाद के वर्षों में उद्योगों की कमी और रोजगार के अवसरों में गिरावट ने इसे प्रभावित किया।

3. असम-पश्चिम बंगाल की समस्याओं और समानताएँ:

विषय असम पश्चिम बंगाल
प्रवास अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की समस्या विभाजन के बाद शरणार्थियों की बाढ़
भाषाई आंदोलन असमिया भाषा की पहचान को लेकर आंदोलन बंगाली भाषा के संरक्षण की माँग
राजनीतिक आंदोलन असम आंदोलन, बोडोलैंड आंदोलन नक्सलवाद, भूमि आंदोलन
आतंरिक संघर्ष जातीय टकराव और अलगाववादी प्रवृत्तियाँ राजनीतिक हिंसा और वाम-दक्षिण संघर्ष

4. सांस्कृतिक और सामाजिक पक्ष:

  • पश्चिम बंगाल: टैगोर, बंकिम चंद्र, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महापुरुषों की भूमि रही है। बंगाल की सांस्कृतिक समृद्धि, साहित्य, कला, रंगमंच, सिनेमा में देश का नेतृत्व करती रही है।
  • असम: भूपेन हजारिका जैसे संगीतज्ञ, सांस्कृतिक लोकाचार, बिहू नृत्य, और ब्रह्मपुत्र जैसी जीवनदायिनी नदी इस राज्य को विशिष्ट बनाते हैं।

5. राष्ट्रीय महत्व और सामरिक स्थिति:

  • दोनों राज्य बांग्लादेश की सीमा से लगे हुए हैं, जिससे इनकी रणनीतिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाती है।
  • सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, और सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दे यहाँ विशेष प्रासंगिक होते हैं।

6. समकालीन चुनौतियाँ:

  • असम और पश्चिम बंगाल दोनों आज भी प्रवासन, पहचान की राजनीति, बेरोजगारी, सीमा विवाद, सांप्रदायिकता आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं।
  • हालांकि विकास की दिशा में कई प्रयास हो रहे हैं, लेकिन सामाजिक समरसता और राजनीतिक स्थायित्व की आवश्यकता बनी हुई है।

निष्कर्ष:

असम और पश्चिम बंगाल केवल भौगोलिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से भी भारतीय गणराज्य के लिए अत्यंत मूल्यवान हैं। इन राज्यों की ऐतिहासिक यात्रा, संघर्ष, आंदोलन और उपलब्धियाँ हमें भारतीय लोकतंत्र की विविधता और जीवंतता को समझने में सहायक हैं।


 

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