Bharat ki Videsh Neeti ko Samjhaiye
प्रश्न – भारत की विदेश नीति को समझाइए।
(BA – Third Year – Subject: History of Contemporary India 1947–2004 – Paper II – Subject Code: A3-HIST 2D)
🔶 प्रस्तावना:
विदेश नीति किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक हितों और वैश्विक प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करने हेतु अन्य देशों के साथ संबंधों को संचालित करने की मूल रणनीति होती है। भारत की विदेश नीति स्वतंत्रता के बाद विशेष रूप से प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा निर्मित की गई, जिन्होंने इसके मूल सिद्धांतों को परिभाषित किया। भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में विश्व शांति, गुटनिरपेक्षता, सहयोग, वैश्विक न्याय और विकासशील देशों के हितों की सुरक्षा प्रमुख रही है।
🔶 भारत की विदेश नीति की परिभाषा:
भारत की विदेश नीति उन मूलभूत सिद्धांतों और कार्यनीतियों का समूह है, जिसके माध्यम से भारत अन्य देशों के साथ अपने कूटनीतिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामरिक संबंधों का संचालन करता है। यह नीति भारत के राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर बदलती और विकसित होती रही है।
🔶 भारत की विदेश नीति के प्रमुख उद्देश्य:
- राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता की रक्षा
- आर्थिक विकास के लिए अनुकूल अंतरराष्ट्रीय वातावरण का निर्माण
- विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना
- गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत का पालन
- विकासशील देशों के अधिकारों की रक्षा
- भारत की वैश्विक छवि और नेतृत्व को मजबूत करना
🔶 विदेश नीति के मुख्य सिद्धांत:
1. गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment):
भारत ने शीत युद्ध काल में अमेरिका और सोवियत संघ जैसे महाशक्तियों के सैन्य गुटों में शामिल न होकर स्वतंत्र नीति अपनाई। 1961 में यूगोस्लाविया, मिस्र, इंडोनेशिया और अन्य देशों के साथ मिलकर ‘गुटनिरपेक्ष आंदोलन’ (NAM) की स्थापना की।
2. पंचशील सिद्धांत (Five Principles of Peaceful Coexistence):
1954 में भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता हुआ। इसके सिद्धांत हैं:
- एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान
- आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
- समानता और पारस्परिक लाभ
- शांतिपूर्ण उपायों से विवादों का समाधान
3. वैश्विक शांति और निरस्त्रीकरण:
भारत ने हमेशा विश्व में शांति और निरस्त्रीकरण का समर्थन किया है। भारत परमाणु हथियारों के खिलाफ रहा है, हालांकि 1998 में भारत ने आत्मरक्षा के दृष्टिकोण से परमाणु परीक्षण किए।
4. संयुक्त राष्ट्र का समर्थन:
भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य है और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।
🔶 भारत की विदेश नीति का ऐतिहासिक विकास:
🔹 1947–1962: आदर्शवाद और शांति की नीति
- नेहरू के नेतृत्व में भारत ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और गुटनिरपेक्षता पर बल दिया।
- भारत-चीन मैत्री पर जोर दिया गया (Hindi-Chini Bhai-Bhai), लेकिन 1962 में चीन के विश्वासघात से संबंध बिगड़ गए।
🔹 1962–1971: यथार्थवाद और सामरिक संतुलन
- 1962 के युद्ध के बाद भारत ने अपनी रक्षा नीति को सुदृढ़ किया।
- अमेरिका और सोवियत संघ दोनों से सैन्य और आर्थिक सहायता ली।
- 1971 में भारत-बांग्लादेश युद्ध में सोवियत संघ के साथ मित्रता संधि हुई।
🔹 1971–1991: क्षेत्रीय प्रभुत्व और आत्मनिर्भरता
- भारत ने दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखा।
- परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया।
- NAM में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई।
🔹 1991–2004: उदारीकरण और वैश्वीकरण का दौर
- आर्थिक उदारीकरण के साथ विदेश नीति में भी बदलाव आया।
- अमेरिका, यूरोप, जापान और आसियान देशों के साथ संबंधों में सुधार हुआ।
- ‘Look East Policy’ शुरू हुई।
🔶 प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंध:
🇷🇺 रूस:
- पारंपरिक मित्र राष्ट्र।
- रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और रणनीतिक सहयोग में साझेदारी।
- ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई विमानों आदि में सहयोग।
🇺🇸 अमेरिका:
- प्रारंभ में मतभेद रहे, परंतु 1991 के बाद संबंध सुधरे।
- IT, शिक्षा, रक्षा, परमाणु ऊर्जा में सहयोग।
- 2005 में सिविल न्यूक्लियर डील हुई।
🇨🇳 चीन:
- व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साझेदार, परंतु सीमाओं को लेकर विवाद।
- 1962 का युद्ध, 2020 में गलवान घाटी विवाद।
- अब भी प्रतिस्पर्धात्मक सहयोग।
🇵🇰 पाकिस्तान:
- विभाजन के बाद से ही शत्रुतापूर्ण संबंध।
- चार युद्ध (1947, 1965, 1971, 1999), आतंकवाद का समर्थन भारत की चिंता।
- वार्ता और संघर्ष दोनों साथ चलते रहे।
🇧🇩 बांग्लादेश:
- 1971 में भारत की मदद से स्वतंत्रता।
- जल बंटवारा, सीमा, घुसपैठ आदि मुद्दे।
- सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग भी बढ़ा।
🇳🇪 पड़ोसी देश (नेपाल, श्रीलंका, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान):
- भारत ने हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ सहयोग और शांति की नीति अपनाई है।
- नेपाल और श्रीलंका में आंतरिक राजनीतिक परिस्थितियों से संबंध प्रभावित होते रहे।
🔶 भारत की नई पहलें:
🔹 Look East से Act East Policy:
- पूर्वी एशिया के साथ रणनीतिक और आर्थिक संबंध मजबूत करना।
🔹 Neighborhood First Policy:
- पड़ोसी देशों के साथ प्राथमिकता के आधार पर मजबूत संबंध बनाना।
🔹 Connect Central Asia Policy:
- ऊर्जा संपन्न मध्य एशिया से संबंध स्थापित करना।
🔹 International Solar Alliance (ISA):
- अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में नेतृत्व स्थापित करना।
🔶 भारत की विदेश नीति और वैश्विक घटनाएँ:
- परमाणु परीक्षण (1998): भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर विश्व को अपनी शक्ति का अहसास कराया।
- UNO में स्थायी सदस्यता की मांग: भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने की मांग कर रहा है।
- COVID-19 के दौरान वैक्सीन मैत्री: भारत ने अनेक देशों को वैक्सीन सहायता भेजकर वैश्विक नेतृत्व का प्रदर्शन किया।
🔶 आलोचनाएँ:
- कभी-कभी गुटनिरपेक्षता नीति को निष्क्रियता माना गया।
- पाकिस्तान के साथ संवाद में स्पष्टता की कमी।
- चीन के बढ़ते प्रभुत्व के सामने सीमित प्रतिक्रिया।
🔶 निष्कर्ष:
भारत की विदेश नीति शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, आत्मनिर्भरता, वैश्विक समावेशिता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा पर आधारित रही है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत ने अपनी विदेश नीति को लचीला और समायोजनशील बनाया है। आज भारत न केवल दक्षिण एशिया में बल्कि वैश्विक मंचों पर भी एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।
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