सरदार वल्लभभाई पटेल का भारतीय एकीकरण में योगदान की व्याख्या कीजिए। Sardar Vallabhbhai Patel ka Bharatiya Ekiakaran mein Yogdan ki Vyakhya kijiye

Sardar Vallabhbhai Patel ka Bharatiya Ekiakaran mein Yogdan ki Vyakhya kijiye

BA तृतीय वर्ष (History of Contemporary India 1947–2004 | Subject Code: A3-HIST 2D)


प्रश्न – सरदार वल्लभभाई पटेल का भारतीय एकीकरण में योगदान की व्याख्या कीजिए।
(Explain the Contribution of Sardar Vallabhbhai Patel in the Integration of India)

परिचय:

भारत की स्वतंत्रता के समय देश का राजनीतिक परिदृश्य अत्यंत जटिल था। एक ओर ब्रिटिश भारत के provinces थे, वहीं दूसरी ओर लगभग 565 देशी रियासतें थीं जिन्हें ब्रिटिश राज ने ‘स्वायत्त’ रूप में शासन करने की अनुमति दी थी। स्वतंत्रता के बाद भारत को एक एकीकृत राष्ट्र बनाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इस ऐतिहासिक कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न करने का श्रेय सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है, जिन्हें “लौह पुरुष” के नाम से जाना जाता है।


सरदार पटेल का परिचय:

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी, कुशल प्रशासक, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद वे देश के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री बने। उन्हें प्रशासनिक कौशल, कठोर निर्णय क्षमता और दूरदर्शिता के लिए जाना जाता है।


भारतीय एकीकरण की आवश्यकता:

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद दो प्रकार की प्रशासनिक इकाइयाँ थीं:

  1. ब्रिटिश भारत: जो सीधे ब्रिटिश सरकार के अधीन था।
  2. देशी रियासतें: जो नाममात्र स्वतंत्र थीं लेकिन ब्रिटिश संरक्षण में थीं।

ब्रिटिश शासन के अंत के साथ ही इन रियासतों को यह अधिकार दिया गया कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकती हैं या स्वतंत्र रह सकती हैं। इससे भारत के राजनीतिक भविष्य पर संकट मंडराने लगा।


सरदार पटेल की भूमिका:

सरदार पटेल को स्वतंत्र भारत का पहला गृहमंत्री बनाया गया। उन्हें देशी रियासतों के भारत में विलय का कार्य सौंपा गया। इस चुनौतीपूर्ण कार्य को उन्होंने बड़ी सूझ-बूझ, रणनीति और कठोरता से अंजाम दिया।

1. राजनैतिक उपाय:

सरदार पटेल और वी. पी. मेनन (गृह मंत्रालय के सचिव) ने मिलकर रियासतों को भारत में शामिल होने के लिए राजी किया। इसके लिए उन्होंने “इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन” तैयार किया, जिसमें रियासतें केवल तीन विषयों—रक्षा, विदेशी संबंध और संचार—के लिए भारत सरकार को अधिकार देती थीं।

2. राजाओं से संवाद:

पटेल ने व्यक्तिगत रूप से अधिकांश रियासतों के शासकों से संपर्क किया और उन्हें समझाया कि स्वतंत्र रहना व्यावहारिक नहीं होगा। उन्होंने राजाओं को पद, पेंशन और विशेषाधिकार देने का आश्वासन भी दिया, जिससे कई रियासतें भारत में शामिल हो गईं।

3. दबाव की राजनीति:

जहाँ संवाद विफल रहा, वहाँ सरदार पटेल ने कठोर कदम उठाने से भी परहेज़ नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारत की एकता में बाधा बनने वालों के विरुद्ध बल प्रयोग भी किया जाएगा।


प्रमुख रियासतों का भारत में विलय:

1. हैदराबाद:

हैदराबाद के निज़ाम ने स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई और रज़ाकारों की सहायता से सैन्य तैयारियाँ शुरू कर दीं। पटेल ने “ऑपरेशन पोलो” चलाकर सितंबर 1948 में हैदराबाद को भारत में मिला लिया।

2. जूनागढ़:

यह एक मुस्लिम शासक की रियासत थी, जिसकी अधिकांश जनता हिंदू थी। नवाब ने पाकिस्तान से जुड़ने की घोषणा की, परन्तु जनता के विरोध और जनमत संग्रह के बाद जूनागढ़ का भारत में विलय हुआ।

3. कश्मीर:

कश्मीर के महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान समर्थित कबायलियों के आक्रमण के बाद उन्होंने भारत से मदद मांगी और विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।

4. त्रावणकोर, भोपाल और जोधपुर:

इन रियासतों ने प्रारंभ में स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई थी, परन्तु सरदार पटेल के कुशल नेतृत्व में उन्होंने भारत में सम्मिलित होना स्वीकार किया।


एकीकरण के परिणाम:

  1. राष्ट्रीय एकता की स्थापना:
    विभिन्न भाषाओं, जातियों और धर्मों वाली रियासतों का एकीकृत भारत में सम्मिलन हुआ।
  2. राजनीतिक स्थायित्व:
    पटेल के प्रयासों से भारत एक मजबूत और स्थिर गणराज्य बन सका।
  3. प्रशासनिक सुविधा:
    एकीकृत भारत को प्रशासनिक दृष्टिकोण से व्यवस्थित करना संभव हुआ।
  4. राज्यों का पुनर्गठन:
    बाद में भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर राज्यों का पुनर्गठन संभव हुआ।

सरदार पटेल की कार्यशैली की विशेषताएँ:

  • दृढ़ संकल्प: उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटे।
  • राजनैतिक समझदारी: संवाद और रणनीति से अधिकांश रियासतों को शांतिपूर्वक मिलाया।
  • बल प्रयोग की स्पष्ट नीति: जहां ज़रूरत हुई, उन्होंने सैन्य बल प्रयोग से संकोच नहीं किया।
  • प्रशासनिक कौशल: एक सुचारू प्रशासनिक तंत्र स्थापित किया।

निष्कर्ष:

सरदार वल्लभभाई पटेल का भारतीय एकीकरण में योगदान अतुलनीय है। उन्होंने न केवल विभिन्न रियासतों को भारत में मिलाया, बल्कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की नींव भी रखी। आज का आधुनिक और एकीकृत भारत उनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व और निर्णायक क्षमता का परिणाम है। इतिहास उन्हें सदैव “भारतीय एकता के शिल्पकार” के रूप में स्मरण करेगा।


HISTORY OF CONTEMPORARY INDIA 1947-2004

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