प्रेक्षण विधि क्या है? यह व्यक्तित्व मूल्यांकन से कैसे सहायता करती है? Prekshan vidhi kya hai Yah vyaktitva mulyankan mein kaise sahayak hoti hai

Prekshan vidhi kya hai Yah vyaktitva mulyankan mein kaise sahayak hoti hai

प्रश्न: प्रेक्षण विधि क्या है? यह व्यक्तित्व मूल्यांकन से कैसे सहायता करती है?
विषय – Personality Development (व्यक्तित्व विकास)
कोर्स कोड – V3-PSY-DEVT
कोर्स प्रकार – व्यावसायिक (Vocational)
शब्द सीमा – 1000 शब्द
भाषा – हिंदी


प्रस्तावना

प्रेक्षण विधि (Observation Method) मनोविज्ञान में एक अत्यंत प्रभावी एवं लोकप्रिय अनुसंधान पद्धति है, जिसका प्रयोग विशेष रूप से व्यक्तित्व के अध्ययन और मूल्यांकन के लिए किया जाता है। यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति, समूह या परिस्थिति के व्यवहार को प्रत्यक्ष रूप से देखा और रिकॉर्ड किया जाता है। विशेष रूप से व्यक्तित्व मूल्यांकन में, प्रेक्षण विधि द्वारा व्यक्ति के वास्तविक व्यवहार, भावनात्मक प्रतिक्रियाओं, सामाजिक सहभागिता, आचरण और अनुकूलनशीलता को समझा जा सकता है।


प्रेक्षण विधि की परिभाषा

प्रेक्षण का अर्थ है — किसी व्यक्ति, समूह या गतिविधि को सतर्कता और उद्देश्यपूर्ण रूप से देखना। यह देखने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें मनोवैज्ञानिक या शोधकर्ता बिना हस्तक्षेप किए व्यक्ति के व्यवहार को देखता और अभिलेख करता है।

डॉ. जमुनादास (Dr. Jamunadas) के अनुसार:
“प्रेक्षण विधि वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति या समूह के व्यवहार, क्रियाकलापों और प्रतिक्रियाओं को योजनाबद्ध ढंग से प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है।”


प्रेक्षण विधि के प्रकार

प्रेक्षण विधि को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया गया है:

1. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रेक्षण

  • प्रत्यक्ष प्रेक्षण (Direct Observation):
    इस प्रकार के प्रेक्षण में व्यक्ति या विषय को प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है। जैसे- कक्षा में छात्र का व्यवहार।
  • अप्रत्यक्ष प्रेक्षण (Indirect Observation):
    इसमें व्यक्ति की गतिविधियों के परिणामों, अभिलेखों या वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से अवलोकन किया जाता है।

2. प्राकृतिक और नियंत्रित प्रेक्षण

  • प्राकृतिक प्रेक्षण (Natural Observation):
    यह उस स्थिति में किया जाता है जहाँ व्यक्ति सामान्य वातावरण में कार्य कर रहा होता है।
  • नियंत्रित प्रेक्षण (Controlled Observation):
    यह प्रयोगशाला जैसी नियंत्रित स्थिति में किया जाता है, जिसमें सभी वैरिएबल्स नियंत्रित रहते हैं।

3. सक्रिय और निष्क्रिय प्रेक्षण

  • सक्रिय प्रेक्षण (Participant Observation):
    इसमें प्रेक्षक स्वयं समूह का हिस्सा बनकर अवलोकन करता है।
  • निष्क्रिय प्रेक्षण (Non-Participant Observation):
    इसमें प्रेक्षक केवल दर्शक होता है और घटना में भाग नहीं लेता।

प्रेक्षण विधि की विशेषताएँ

  1. वास्तविकता पर आधारित:
    यह व्यक्ति के वास्तविक व्यवहार का अध्ययन करती है।
  2. तत्काल जानकारी:
    किसी भी क्षण घटित हो रहे व्यवहार को तुरंत नोट किया जा सकता है।
  3. व्यवहारगत साक्ष्य:
    यह व्यक्ति के बाह्य व्यवहार का प्रमाण देती है, जिससे व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जा सकता है।
  4. गहराई से अध्ययन:
    किसी व्यक्ति के व्यवहार का लंबे समय तक निरीक्षण करने से उसके गहरे गुणों और कमजोरियों की जानकारी मिलती है।

व्यक्तित्व मूल्यांकन में प्रेक्षण विधि की उपयोगिता

प्रेक्षण विधि का उपयोग व्यक्तित्व मूल्यांकन में निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

1. वास्तविक जीवन स्थितियों में व्यवहार को समझना

प्रेक्षण विधि यह जानने में मदद करती है कि व्यक्ति किसी विशेष स्थिति में कैसा व्यवहार करता है। जैसे:

  • संकट के समय व्यक्ति का धैर्य
  • समूह में व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता
  • सामाजिक सहभागिता

2. भावनात्मक संतुलन का मूल्यांकन

व्यक्ति के चेहरे के भाव, हाथों की गतिविधियाँ, चंचलता, गुस्सा, हँसी या उदासी को देखकर उसके भावनात्मक पहलुओं का मूल्यांकन किया जा सकता है।

3. सामाजिक व्यवहार की पहचान

प्रेक्षण द्वारा यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति समाज में कितना सक्रिय है, वह किस प्रकार से अन्य लोगों से संवाद करता है, उसका मिलनसार व्यवहार कैसा है आदि।

4. व्यवसायिक चयन और प्रशिक्षण में

प्रेक्षण विधि का प्रयोग नौकरी के लिए उम्मीदवारों के चयन में किया जाता है, जहाँ उनके व्यवहार, निर्णय क्षमता, संवाद शैली और नेतृत्व गुणों को परखा जाता है।

5. मानसिक रोगों की पहचान में

मनोवैज्ञानिक प्रेक्षण विधि द्वारा यह पता लगा सकते हैं कि व्यक्ति किसी मानसिक रोग, जैसे- अवसाद, चिंता, या सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित है या नहीं।

6. शैक्षिक वातावरण में छात्रों के मूल्यांकन हेतु

शिक्षक छात्रों के व्यवहार, अभिरुचि, भागीदारी, समूह कार्य आदि को प्रेक्षण विधि द्वारा परखकर उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन कर सकते हैं।


प्रेक्षण विधि की सीमाएँ

  1. व्यक्तिगत पक्षपात:
    कभी-कभी प्रेक्षक के निजी विचारों या अनुभवों का प्रभाव मूल्यांकन पर पड़ सकता है।
  2. वास्तविक मनोभावों की जानकारी नहीं:
    प्रेक्षण केवल बाह्य व्यवहार को देखता है, व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है – यह नहीं जान सकता।
  3. सीमित समय:
    व्यवहार के परिवर्तनशील स्वभाव के कारण एक सीमित अवधि का प्रेक्षण संपूर्ण व्यक्तित्व नहीं दर्शा सकता।
  4. प्रेक्षण के दौरान व्यवहार में बदलाव:
    कभी-कभी व्यक्ति को यह पता चल जाता है कि उसे देखा जा रहा है, जिससे उसका व्यवहार कृत्रिम हो सकता है।

प्रेक्षण विधि को प्रभावी बनाने के सुझाव

  1. प्रेक्षक को प्रशिक्षित होना चाहिए।
    उसे यह पता होना चाहिए कि कौन-से व्यवहारों पर ध्यान देना है और उन्हें कैसे रिकॉर्ड करना है।
  2. पूर्व योजना जरूरी है।
    क्या देखना है, कब देखना है, किस स्थिति में देखना है – इसकी योजना पहले से बननी चाहिए।
  3. बार-बार प्रेक्षण करना चाहिए।
    एक ही स्थिति में बार-बार और विभिन्न परिस्थितियों में प्रेक्षण करने से निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय होंगे।
  4. प्रेक्षण अभिलेख संक्षिप्त और सटीक होने चाहिए।
    जो कुछ भी देखा गया है, उसे वैज्ञानिक और सुसंगत रूप में दर्ज किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

प्रेक्षण विधि एक सरल, व्यवहारिक और प्रभावी तकनीक है, जो व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह व्यक्ति के वास्तविक व्यवहार का मूल्यांकन करती है और हमें यह जानने में मदद करती है कि वह विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार की प्रतिक्रियाएँ देता है। यद्यपि इसमें कुछ सीमाएँ हैं, लेकिन उचित प्रशिक्षण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से यह विधि अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हो सकती है। व्यक्तित्व विकास के क्षेत्र में यह एक अनिवार्य उपकरण के रूप में कार्य करती है, जो व्यक्तिगत, शैक्षिक एवं व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक है।


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